ख़बरिस्तान नेटवर्क : देश में कोरोना के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं। कोरोना के एक्टिव मरीजों की गिनती 1828 तक पहुंच गई है। वहीं अब तक इससे 15 लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र में देखा जा रहा है। क्योंकि यहां पर कोरोना के कारण 6 लोगों की मौत हो चुकी है।
गुजरात में 8 महीने की बच्ची भी पॉजिटिव
गुजरात में वीरवार को कोरोना के 6 नए मामले देखने को मिले हैं। इसमें एक 8 महीने की बच्ची भी शामिल है। रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। वहीं केरल में एक्टिव मरीजों की संख्या 727 हो चुकी है। ज्यादातर मामले ओमिक्रॉन JN वैरिएंट LF7 के मामले आ रहे हैं।
भारत में यह वैरिएंट है आम
भारत में कोविड का JN.1 वैरिएंट सबसे आम है। टेस्टिंग में आधे से ज्यादा सैंपल में यह वैरिएंट मिला है। इसके बाद BA.2 (26%) और ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20 प्रतिशत) वैरिएंट के मामले भी मिलते हैं। JN.1 वैरिएंट इम्यूनिटी कमजोर करता है JN.1, ओमिक्रॉन के BA2.86 का एक स्ट्रेन है। इसे अगस्त 2023 में पहली बार देखा गया था। दिसंबर 2023 में WHO ने इसे 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' घोषित किया।
इसमें करीब 30 म्यूटेशन्स हैं, जो इम्यूनिटी कमजोर करते हैं। अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार JN.1 अन्य वैरिएंट की तुलना में ज्यादा आसानी से फैलता है, लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है। दुनिया के कई हिस्सों में यह सबसे आम वैरिएंट बना हुआ है। JN.1 वैरिएंट के लक्षण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकते हैं। अगर आपके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो हो सकता है कि आपको लंबे समय तक रहने वाला कोविड हो। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें COVID-19 के कुछ लक्षण ठीक होने के बाद भी बने रहते हैं।
दूसरी लहर नहीं होगी जानलेवा
विशेषज्ञों के मुताबिक कोरोना की चौथी लहर आएगी तो इसका असर 21 से 28 दिन तक रहेगी। यह दूसरी लहर की तरह जानलेवा नहीं होगी। नए वैरिएंट पर वैक्सीन का असर नहीं। जिन लोगों ने वैक्सीनेशन करवाया था, उन्हें भी सावधानी बरतने की जरूर है। इसका कारण है कि वैक्सीनेशन नए वैरिएंट का असर होने से नहीं रोक सकता हालांकि, वैक्सीनेशन की इम्यूनिटी अभी भी पूरी तरह से कमजोर नहीं हुई। यह आपके शरीर को नए वैरिएंट से लड़ने में मदद जरूर करेगी।
WHO ने भी माना नया वैरिएंट खतरनाक नहीं
वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी कोरोना के नए वेरिएंट को चिंताजनक नहीं माना है। हालांकि, निगरानी में रखे गए वैरिएंट के रूप में कैटेगराइज किया है। चीन सहित एशिया के दूसरे देशों में कोविड के बढ़ते मामलों में यही वैरिएंट दिख रहा है। NB.1.8.1 के A435S, V445H, और T478I जैसे स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन अन्य वैरिएंट की तुलना में तेजी से फैलते हैं। इन पर कोविड के खिलाफ बनी इम्यूनिटी का भी असर नहीं होता।