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स्टडी में खुलासा : बीमारियों की सही पहचान न होने से हर साल हो रही 10 लाख से अधिक मौत


स्टडी में खुलासा :
7/24/2023 4:54:00 PM         Raj        Health news, Healthy diet, Study, Diabetes, Professor Newman Token             

खबरिस्तान नेटवर्क :  बदलते समय के साथ ही लोगों की लाइफस्टाइल भी तेजी से बदलती जा रही है। इन दिनों लोग कई तरह की आम और गंभीर समस्याओं शिकार हो रहे हैं। डायबिटीज हो या फिर बीपी हर उम्र के लोग इस तरह की समस्याओं का शिकार हो रहे हैं। लेकिन यह भी सच है कि अगर समय रहते किसी बीमारी या समस्या का सही पता लगा लिया जाए, तो इसे आसानी से ठीक किया जा सकता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञ अनुसार वैश्विक स्तर पर बढ़ती कई प्रकार की बीमारियों के कारण होने वाली जटिलताओं के जोखिमों को कम किया जा सकता है, यदि उनका समय पर निदान और इलाज हो जाए।

इसी क्रम में हाल ही में हुई एक स्टडी में यह सामने आया कि कैसे बीमारी के गलत निदान की वजह से दुनिया भर में मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है। बीएमजे क्वालिटी एंड सेफ्टी जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट में कई हैरान करने वाले खुलासे भी किए गए हैं। 

स्टडी में क्या आया सामने 

स्टडी के मुताबिक हर साल अमेरिका में बीमारियों के गलत निदान की वजह से लगभग 7.95 लाख लोग या तो मर जाते हैं या स्थाई रूप से विकलांग हो जाते हैं। अध्ययन में यह भी सामने आया कि कैंसर जैसी बीमारियों की गंभीरता के लिए भी समस्या का सही तरीके से निदान न हो पाना एक कारण माना जाता रहा है। शोधकर्ताओं के मुताबिक गलत तरीके से निदान की जाने वाली समस्याओं की सूची में सबसे ऊपर स्ट्रोक है। इसकी वजह से कुछ स्थितियों में पीड़ित की जान जाने का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही 4 में से 3 लोगों में दिल का दौरा, संक्रमण और कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का खतरा अधिक होता है।

गलत निदान हो सकता है खतरनाक

किसी भी बीमारी के गलत निदान की वजह से हमारे स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है, इस बारे में जानने के लिए स्वास्थ्य विशेषज्ञों की टीम ने एक अध्ययन किया। इस अध्ययन में यह सामने आया कि 11 फीसदी मेडिकल इमरजेंसी बीमारी के गलत निदान की वजह से होती है। हालांकि, रोगो के आधार पर इसकी व्यापकता अलग-अलग हो सकती है।

सर्वे में पाया गया का दिल के दौरे के लिए गलत निदान दर केवल 1.5% है, हालांकि रीढ़ की हड्डी की समस्या का खतरा 62% हो सकता है।

क्या कहते हैं शोधकर्ता

स्टडी के शोधकर्ता और सेंटर फॉर डायग्नोस्टिक एक्सीलेंस के निदेशक डेविड न्यूमैन टोकर का कहना है कि अगर स्ट्रोक,सेप्सिस, निमोनिया और फेफड़ों के कैंसर के निदान में होने वाली गलतियों को 50 प्रतिशत भी कम किया जाए, तो स्थाई विकलांगता और मृत्यु के मामलों में हर साल 1.50 लाख तक की कमी आ सकती है। शोधकर्ताओं ने यह भी बताया स्ट्रोक से पीड़ित व्यक्तियों के समय रहते समस्या का निदान न होने के सबसे ज्यादा मामले देखने का मिले।

 

प्रोफेसर न्यूमैन टोकन ने बताया कि बीमारियों की पहचान में हुई गलतियां सबसे कम संसाधन वाले सार्वजनिक स्वास्थ्य संकट है। ऐसे में बीमारी के सही निदान के लिए रोगियों को भी लक्षणों पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है।

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