जालंधर में प्राइवेट मेडिकल कंपनी में काम कर रही हीना ने जब शंभू बॉर्डर पर घायल किसानों को देखा तो उस से रहा नहीं गया। इसके बाद हीना तुरंत थार में दवाइयां लेकर शंभू बॉर्डर के बिल्कुल नजदीक पहुंच गई। हीना 13 फरवरी से लेकर लगातार बॉर्डर से मात्र 100 मीटर की दूरी पर टेंट लगाकर घायल बुजुर्गों और मरीजों को दवाइयां दे रही है।
बातचीत के दौरान हीना ने बताया कि किस तरीके से उसे बुजुर्गों और किसानों की सेवा करने का मौका मिला। हीना ने कहां कि सोशल मीडिया पर जब दागे गए आंसू गैस के गोलों से घायल एक बुजुर्ग को देखा तो कॉमन ग्रुप में मैसेज आया की मेडिकल की सेवा के लिए अगर किसी ने जाना है तो बता दें। जिसके बाद श्री गुरु राम दास जिनके हुकम के बाद हम जालंधर से निकल पड़े। आज 8 दिन हो गए है शंभू बॉर्डर पर सेवा करते हुए।
ईमेल के जरिए पता लगा कंपनी ने निकाल दिया काम से
हीना ने बताया कि उसे आज यानी मंगलवार को सुबह ईमेल के जरिए पता लगा कि कंपनी ने उसे नोटिस भेज कर काम से निकाल दिया है। लेकिन उन्हें इस बात का कोई दुख नहीं है। क्योंकि ऐसी सेवा और मौका दोबारा नहीं मिलेगा। जॉब से निकलने के बाद भी मेरा हौसला कम नहीं हुआ बल्कि किसानों को देखकर और भी बड़ा है परिवार भी पूरा सहयोग कर रहा है।
1 दिन की सेवा और दवाई लेकर आए थे
हीना ने कहा दोस्त नवदीप के साथ शंभू बॉर्डर पर एक दिन की दवाइयां लेकर पहुंची थी लेकिन अब पता ही नहीं चल रहा की दवाइयां कहां से आ रही हैं और लगातार वह सेवा करती जा रही है। 400 से अधिक बुजुर्गों और नौजवानों को ट्रीटमेंट दिया जा चुका है। पहले जो 2 दिन थे वह बहुत ही खतरनाक और भयानक थे क्योंकि घायल लगातार उनके पास मरहम पट्टी के लिए और दवाई लेने के लिए पहुंच रहे थे। कई घायलों को अस्पताल में भी रेफर किया गया था।