पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने सस्पेंड किए गए पुलिस मुलाजिमों पर अनलॉफुल एक्टिविटज प्रिवेंशन एक्ट(UAPA) लगाने को लेकर फैसला सुनाया है। पंजाब सरकार को आदेश दिए गए है कि सिर्फ एसएसपी की शिकायत पर किसी भी मुलाजिम पर यूएपीए एक्ट और प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्डरिंग एक्ट (PMLA) के तहत कार्रवाई नहीं की जा सकती। एक महीने में रिपोर्ट सौपने को कहा गया है।
पंजाब सरकार को दिए आदेश
हाईकोर्ट ने कहा इन दोनों एक्ट को लागू करने की गुंजाइश का पता लगाए बिना ही इसके लिए सिफारिश कर दी जाती है, जो बिलकुल गलत है। ये टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने मुलाजिमों की याचिका पर पंजाब सरकार को विचार करने के आदेश दिए हैं। पंजाब सरकार अब मुलाजिमों की बहाली पर विचार करेगी।
हाईकोर्ट में एक मुलाजिम ने दर्ज की थी याचिका
बता दे कि जालंधर, मानसा सहित अलग अलग जिलों के रहने वाले मुलाजिमों पर ये कार्रवाई की थी। जिसको लेकर मानसा के मुलाजिम हरमीत लाल ने उक्त याचिका हाईकोर्ट में दी थी। जिसमें उसने कोर्ट को बताया कि 2011 में उनके खिलाफ आईपीसी की कुछ धाराओं में मामला दर्ज किया गया था।
जांच के दौरान दोनों एक्ट भी जोड़े गए था। पुलिस ने तब आरोप लगाया था कि वह नक्सलियों को हथियारों सहित अन्य सामान बेचता है। पंजाब पुलिस ने याचिकाकर्ता और अन्य के खिलाफ विभागीय कार्रवाई के साथ साथ आपराधिक कार्रवाई भी शुरू की गई और उन्हें सर्विस से सस्पेंड कर दिया गया।
यह एक्ट ऐसी ही नहीं लगाए जाते
याचिकाकर्ताओं को 2019 में ट्रायल कोर्ट ने बरी कर दिया और ऐसे में उन्होंने सस्पेंशन के लिए अधिकारियों से अपील की, लेकिन उनकी अपील खारिज कर दी गई। जिसके बाद पीड़ित ने अपनी सस्पेंशन के लिए हाईकोर्ट का रुख किया था। हाईकोर्ट ने कहा कि यूअपीए और पीएमएलए एक्ट ऐसी ही नहीं इस्तेमाल किया जाता। इन विशेष एक्ट के तहत आरोप जज ने हटा दिए और ट्रायल कोर्ट ने 2019 के मामले में आरोपी मुलाजिम को बरी कर दिया।
इस याचिका पर कोर्ट ने पंजाब सरकार को एक महीने के अंदर इस पर आवश्यक कार्रवाई करने और मुलाजिम की सस्पेंशन पर विचार करने को कहा है।