हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस के 6 विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट में स्पीकर की ओर से सस्पेंड किए गए फैसले को चुनौती दी है। राज्यसभा चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी। अब विधायकों ने स्पीकर के इस फैसले को गलत ठहराते हुए रद्द करने की मांग की है।
बता दें कि राज्यसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा था कि कांग्रेस के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लड़ने वाले छह विधायकों ने दलबदल विरोधी कानून के प्रावधानों का उल्लंघन किया था। इसलिए इन विधायकों की सदस्यता तत्काल रद्द की गई थी।
विपक्षी पार्टी भाजपा को दिए थे वोट
वहीं बाद में जिसके चलते बीजेपी के हर्ष महाजन विजयी घोषित हुए थे और कांग्रेस के उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी को हार का सामना करना पड़ा था। बाद में इन विधायकों को बीजेपी के समर्थन में बयानबाजी करते हुए देखा गया था। इन विधायकों की क्रॉस वोटिंग के बाद राज्य की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे थे। वहीं कांग्रेस के अंदर बागी विधायकों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाने की बात उठ रही थी।
हंगामा करने वाले बीजेपी MLAs के खिलाफ कार्यवाही शुरू
दूसरी तरफ हिमाचल प्रदेश विधानसभा में 28 फरवरी को बजट पारित होने से पहले हंगामा करने के आरोप में बीजेपी के कुछ विधायकों के खिलाफ कार्यवाही शुरू कर दी गई है और मामला विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष क्या बोले?
विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने मंगलवार (5 मार्च) को बताया कुछ सदस्यों से (हंगामे पर) नोटिस मिले हैं और मैंने भी स्वत: संज्ञान लिया है। मामला विशेषाधिकार समिति को भेज दिया गया है।
उन्होंने कहा सदन के अंदर बीजेपी विधायकों की ओर से की गई अनुशासनहीनता नियमों और संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन के तहत कार्रवाई योग्य है और इस संबंध में उन्हें नोटिस जारी किए जा रहे हैं। पठानिया ने कहा कि विधायक गरिमापूर्ण तरीके से विरोध कर सकते हैं और नारे लगा सकते हैं, लेकिन आसन पर कागज फेंकना स्वीकार्य नहीं है।