खबरिस्तान नेटवर्क: फेसबुक, व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम की मूल कंपनी मेटा के खिलाफ वांशिगटन, अमेरिका में एक अविश्वासी विरोधी मामला चल रहा है। ऐसे में यदि इसका फैसला मेटा के खिलाफ गया तो मार्क जकरबर्ग को न चाहते हुए भी व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम को बेचना पड़ जाएगा। बता दें कि मेटा पर यूएस कॉम्पिटिशन एंड कंज्यूमर वॉच डॉग ने आरोप लगाया है कि उन्होंने बाजार में कॉम्पिटिशन खत्म करने के लिए 2012 में इंस्टाग्राम और 2014 में व्हाट्सएप को खरीदा था। मेटा ने इंस्टाग्राम को 1 बिलियन डॉलर और व्हाट्सएप को 22 बिलियन डॉलर में खरीदा था।
बिक सकता है व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम
व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम को खरीदने की मंजूरी एफटीसी ने दी थी। नियमों के अनुसार, डील के बाद के परिणामों को मॉनिटर करने की जिम्मेदारी एफटीसी की होती है। ऐसे में एफटीसी को मेटा पर केस दर्ज करना पड़ा। अब यदि इस केस का फैसला एफटीसी के पक्ष में आया तो मार्क जकरबर्ग को अपना व्हाटसएप और मेटा बेचना पड़ेगा।
मेटा ने दी दलील
मेटा का इस मामले पर कहना है कि यहां कंपीटिशन खत्म होने का सवाल ही नहीं आता क्योंकि वह लगातार टिकटॉक, स्नेपचैट और रेडिट जैसी कंपनियों के साथ मुकाबला कर रहे हैं। ऐसे में जानकारों का यही मानना है कि इस केस में मेटा का पलड़ा भारी है हालांकि अभी कुछ साफ-साफ नहीं कह सकते।
एफटीसी ने दी दलील
इस मामले पर एफटीसी का कहना है कि मेटा ने जिस रणनीति के अंतर्गत व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम खरीदा है उसमें कंपनियां अपने कंपीटिशन को खरीद कर कमजोर कर देती हैं या फिर खत्म कर देती हैं। एफटीसी को यह साबित करना होगा कि यदि मेटा ने व्हाट्सएप और इंस्टाग्राम बेचा न होता तो आज सोशल मीडिया बिल्कुल अलग होता। अपनी बात को साबित करने के लिए एफटीसी ने एक मेल कोर्ट में भी दिखाया है जिसमें जकरबर्ग ने लिखा था कि मुकाबला करने से बेहतर है खरीदना। आपको बता दें कि अमेरिका में एंटी ट्रस्ट कानून काफी कड़े हैं। वहां बाजार से कॉम्पिटिशन खत्म करके बाजार पर एकाधिकार जमाने को अपराध की श्रेणी में रखा गया है।