ख़बरिस्तान नेटवर्क : सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना अंतरिम फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पूरे कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इसके साथ यह भी कहा कि किसी भी कानून पर केवल दुर्लभ मामलों में ही रोक लगाई जा सकती है।
गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर रोक नहीं
हालांकि, 3 संशोधन पर रोक जरूर लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति पर रोक नहीं है। जहां तक संभव हो पदेन सदस्य मुस्लिम ही हों। इससे पहले 22 मई को लगातार 3 दिन की सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 बड़ी बातें
- वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 की उस प्रावधान पर रोक जिसके तहत किसी व्यक्ति को वक्फ बनाने के लिए कम से कम 5 वर्षों तक इस्लाम का अनुयायी होना अनिवार्य था।
- जांच शुरू होने के बाद से लेकर अंतिम निर्णय तक और हाई कोर्ट के आगे के आदेशों के अधीन- तीसरे पक्ष के संपत्ति अधिकार नहीं बनाए जाएंगे।
- स्टेट वक्फ बोर्ड के कुल 11 सदस्यों में में 3 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे। सेंट्रल वक्फ काउंसिल में कुल मिलाकर 4 से अधिक गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं हो सकते।
- शीर्ष अदालत ने कहा कि किसी भी कानून की संवैधानिक वैधता का अनुमान उसके पक्ष में ही होता है। केवल अत्यंत दुर्लभ मामलों में ही पूरे कानून पर रोक लगाई जा सकती है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकार तय नहीं कर सकता, यह ट्रिब्यूनल का काम है।
- वक्फ संपत्ति के रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था पहले भी 1995 से 2013 तक लागू थी और अब दोबारा लागू की गई है।
- कोर्ट ने कहा कि नामित अधिकारी का राजस्व अभिलेखों में चुनौती देना और कलेक्टर को संपत्ति के अधिकार निर्धारित करने का अधिकार देना- शक्तियों के पृथक्करण के खिलाफ है।
- जब तक शीर्षक (title) तय नहीं होता, वक्फ से संपत्ति का कब्ज़ा नहीं छीना जाएगा।
- सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून की धारा 23 को भी स्थगित किया जिसमें कहा गया था कि पदेन (Ex-officio) अधिकारी मुस्लिम समुदाय से होना अनिवार्य है।
- इस तरह शीर्ष अदालत ने वक्फ संशोधन कानून, 2025 की धारा 3(r), धारा 2(सी), धारा 3 (सी) और धारा 23 को स्थगित किया है।
क्या है वक्फ (संशोधन) कानून
- 1950 के दशक में वक्फ संपत्तियों की देखरेख के लिए कानूनी तौर पर एक संस्था बनाने की ज़रूरत महसूस हुई।
- इसके लिए 1954 में 'वक्फ एक्ट' के नाम से कानून बनाकर 'सेंट्रल वक्फ काउंसिल' का प्रावधान किया गया।
- एक साल बाद यानी 1955 में इस कानून में बदलाव करके हर राज्य में वक्फ बोर्ड बनाए जाने की शुरुआत हुई।
- इस वक्त देश भर में करीब 32 वक्फ बोर्ड हैं। ये वक्फ संपत्तियों का रजिस्ट्रेशन और रखरखाव करते हैं।
- बिहार समेत कई प्रदेशों में शिया और सुन्नी मुसलमानों के लिए वक्फ बोर्ड अलग हैं।
- 1964 में पहली बार सेंट्रल वक्फ काउंसिल गठित हुई।
- 1954 के इसी कानून में बदलाव करने के लिए केंद्र सरकार 'वक्फ संशोधन बिल' लाई, जो अब कानून बन गया है।