पंजाब के गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित ने मुख्यमंत्री भगवंत मान के बुलाए गए स्पेशल सेशन को गैर कानूनी बताने के मामले में आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस मामले को लेकर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि गवर्नर को मामला अदालत में आने से पहले खुद कार्रवाई करनी चाहिए थी।
इसके साथ ही पंजाब सरकार और गवर्नर को सलाह दी है कि ऐसे मामले सीएम और राजयपाल आपस में सुलझाए। वहीं इस मामले की सुनवाई 10 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है।
CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा- राज्यपालों को यह समझना चाहिए कि वो चुनी हुई अथॉरिटीज नहीं हैं। राज्य सरकारों के कोर्ट जाने के बाद ही गवर्नर बिल पर कार्रवाई क्यों करते हैं? इसे रोकना होगा।
गवर्नर ने बिलों को नहीं दी थी मंजूरी
पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में पंजाब सरकार की ओर से कहा गया था कि विधानसभा में पास किए बिलों को गवर्नर मंजूरी नहीं दे रहे हैं। राज्य सरकार ने गवर्नर के रवैये के खिलाफ 28 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
CJI की अगुवाई वाली बेंच पंजाब सरकार की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित पर आरोप है कि वे विधानसभा से पारित 7 बिलों को पास नहीं कर रहे हैं।
एक और सेशन बुलाने की तैयारी में सरकार
गवर्नर बनवारी लाल पुरोहित की ओर से 2 मनी बिलों को मंजूरी दिए जाने के बाद अब भगवंत मान सरकार नवंबर महीने में ही एक बार फिर विधानसभा का सेशन बुलाने की तैयारी कर रही है। इस को लेकर AG ऑफिस से कानूनी पहलुओं पर राय ली जा चुकी है। विधानसभा सेशन की तारीख तय करने के लिए मुख्यमंत्री ने आज कैबिनेट की मीटिंग में फैसला ले सकते हैं।
चार बिल पेंडिंग है
पंजाब विधानसभा के जून 2023 महीने में हुए स्पेशल सेशन में पास किए गए चार बिलों को अभी तक गवर्नर ने अपनी मंजूरी नहीं दी है। इस पर मुख्यमंत्री अपनी आपत्ति जता चुके हैं। उधर राज्यपाल सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस पर अपना पक्ष रख सकते हैं।