जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार के धारा 370 हटाने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बैंच ने कहा का धारा 370 अस्थाी प्रावधान था। संविधान के आर्टिकल 1 और 370 से साफ होता है कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। भारतीय संविधान वहां भी लागू होता है।
16 दिन तक चली सुनवाई, 96 दिन बाद आया फैसला
संविधान पीठ में चीफ जस्टिस चंद्रचूड़, जस्टिस गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस कौल और जस्टिस खन्ना शामिल थे। बेंच के सामने लगातार 16 दिन तक चली सुनवाई 5 सितंबर को खत्म हुई थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। यानी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के 96 दिन बाद केस पर फैसला सुनाया।
30 सितंबर तक करवाएं जाए चुनाव
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि हम आर्टिकल 370 को निरस्त करने के राष्ट्रपति के आदेश को वैध मानते हैं। हम लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखते हैं। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने राज्य में 30 सितंबर 2024 तक विधानसभा चुनाव कराने के आदेश दिए।
2019 में हटाई गई थी धारा, डाली गई थी 23 याचिकाएं
आपको बता दें कि साल 2019 में मोदी सरकार ने 5 अगस्त को धारा 370 खत्म कर दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो हिस्सों में बांट दिया गया था। विपक्षी नेताओं ने सरकार के इस फैसले की खूब आलोचना की थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले के खिलाफ 23 याचिकाएं दायर हुई थी।
जानें क्या है धारा 370
1947 में अंग्रेजों से आजादी के बाद तत्कालीन रियासतों के पास भारत या पाकिस्तान में से किसी एक में शामिल होने का विकल्प था। अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर के भारत का हिस्सा बनने के अधिकार था। भारत के संविधान में 17 अक्टूबर, 1949 को अनुच्छेद 370 को जगह दी गई।
इसने जम्मू-कश्मीर राज्य को भारतीय संविधान से अलग रखने का काम किया। इसके तहत राज्य को अधिकार मिले कि वह अपना खुद का संविधान तैयार कर पाए।
अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिला हुआ था। रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार नहीं होने के अलावा राज्य विधानसभा अन्य कानूनों को बना सकती थी।
सरकार को भी ऊपर बताए गए तीन विषयों को छोड़कर सभी पर कानून बनाने के बाद राज्य सरकार से मंजूरी की जरूरत होती थी। अन्य राज्य के लोगों को जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीदने के अधिकार भी नहीं दिए गए थे।