हाल ही में सामने आईं दिल्ली सरकार की एक रिपोर्ट ने सबको चौंका दिया है। इस रिपोर्ट के अनुसार कोराना महामारी के बाद से दिल्ली में कम जन्म और अधिक मौतें हुई हैं। जनसंख्या नियंत्रण के लिहाजा से जन्म दर कम होना अच्छा संकेत माना जाता है,लेकिन कम जन्म होना डराने वाला है। हालांकि 2021 के मुकाबले संख्या में थोड़ा सुधार हुआ है।
केंद्र शासित प्रदेश की नागरिक पंजीकरण प्रणाली (सीआरएस) ने हाल ही में आंकड़े जारी किए है, जो डराने वाले है। आंकड़ों से पता चला है कि दिल्ली की जन्म दर लंबे समय से धीरे-धीरे गिर रही है। 2020 और 2021 के महामारी वर्षों के दौरान इस गिरावट की दर में काफी वृद्धि हुई है। इसके विपरीत, मृत्यु पंजीकरण 2021 में पहले महामारी के वर्षों के दौरान एक महत्वपूर्ण वृद्धि देखी गई थी। 2019 में जन्म दर, जो प्रति हजार जनसंख्या पर 18.4 बच्चे पैदा होती थी, 2020 में गिरकर 14.9 हो गई और फिर 2021 में 13.1 पर पहुंच गई। जबकि 2022 में यह संख्या थोड़ी सुधरकर 14.2 पर पहुंच गई। यह अभी भी महामारी से पहले की तुलना में काफी कम है. जहां तक मृत्यु दर का सवाल है, डेटा से पता चलता है कि 2021 और 2022 के बीच मृत्यु दर में काफी कमी आई है. जो 2021 में महामारी की दूसरी लहर की गंभीरता को देखते हुए समझ में आता है। CRS आंकड़े सिर्फ दर्ज किए गए जन्म और मौत की संख्या बताते हैं। इनसे यह पता नहीं चलता कि जन्म और मृत्यु की इस संख्या में बाहर से अस्थायी तौर पर आए लोगों और यहां के स्थायी निवासियों का क्या अनुपात है।
एक दशक में सबसे कम
यह लगभग एक दशक (2013 के बाद से) में सबसे कम है। 2022 में, प्रति हजार पर 6.07 मौतें हुईं, जबकि 2021 में 8.28 और 2020 में 7.03 मौतें हुईं। इस अर्थ में सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम (SRS) का सर्वे आधारित अनुमान बेहतर होता है जो रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया (RGI) जारी करता है। चूंकि RGI ने महामारी की अवधि यानी 2021-22 के SRS डेटा अभी जारी नहीं किए हैं, इसलिए फिलहाल CRS आंकड़ों से ही काम चलाना होगा।
कोरोना महामारी की अवधि यानी 2020 और 2021 में दिल्ली में दर्ज हुई मौतों की संख्या 28,687 बताई गई है, जो 2007 (जब से CRS रेकॉर्ड उपलब्ध हैं) से अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। जन्मदर का जहां तक सवाल है तो 2019 में यह प्रति हजार की आबादी पर 18.4 बच्चे की थी। लेकिन 2020 में 14.2 बच्चों पर और 2021 में और घटकर 13.1 पर आ गई। 2022 में बढ़कर 14.2 बच्चों पर आई। लेकिन महामारी से पहले के स्तर से काफी नीचे है। ध्यान रहे, दिल्ली में जन्मदर में कमी महामारी से पहले से ही आने लगी थी। जानकार जन्म दर में आई बढ़ोतरी के पीछे कुछ खास वजहें बता रहे हैं। एक तो लॉकडाउन के दौरान अपने गांवों को लौट चुके लोग स्थिति सुधरने पर बड़ी संख्या में वापस आ गए। दूसरे, लॉकडाउन के दौरान शुरू हुआ वर्क फ्रॉम होम का पैटर्न जारी रहना भी अहम है क्योंकि उससे महिलाओं को लगा कि वे वर्कफोर्स में भागीदारी करते हुए परिवार का भी ख्याल रख सकती हैं। मगर बड़ी बात यह है कि इन सबके बावजूद जन्म दर का स्तर नीचा बना हुआ है।
2022 में शिशु और मातृ मृत्यु दर में आई कमी
रिपोर्ट से पता चलता है कि 2.23 प्रतिशत महिलाओं ने 19 साल या इससे कम उम्र में बच्चे को जन्म दिया। रिपोर्ट में 2022 में शिशु और मातृ मृत्यु दर में मामूली वृद्धि पर भी प्रकाश डाला गया है। 2022 में, शिशु मृत्यु दर (प्रति हजार जीवित जन्म पर) 23.82 रही, जो 2021 में 23.60 थी। मातृ मृत्यु दर (प्रति हजार जीवित जन्म) 2022 में 0.49 रही, जो 2021 में 0.44 थी।
साल 2021 में दर्ज की गई 1,71,476 मौतों की तुलना में 2022 में 1,28,106 मौतें दर्ज की गईं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजीकृत मौतों में 79,052 (61.71 प्रतिशत) पुरुष और 49,004 (38.25 प्रतिशत) महिलाएं और 'अन्य' श्रेणी में 50 (0.04 प्रतिशत) मौतें शामिल हैं।