कहा जाता है कि अच्छा सोचोगे तो अच्छा ही होगा, बुरा सोचोगे तो बुरा ही होगा। जी हां, ये बात आपके हेल्थ को काफी प्रभावित करती है। दरअसल जब आप बीमार होते हैं और बीमार होने के बावजूद आप अपने हेल्थ को लेकर पॉजिटिव सोच रखते हैं तो आप जल्दी ठीक हो सकते हैं। वहीं अगर आप अपनी बीमारी को लेकर नेगेटिव सोचते हैं तो वो बीमारी ठीक होने की बजाए और ज्यादा बिगोड़ने लगती है।
वैसे आप प्लेसीबो इफेक्ट के बारें में सुना ही होगा जो हेल्थ के प्रति पॉजिटिव सोच के साथ अच्छा प्रभाव डालता है। लेकिन क्या आप नोसेबो इफेक्ट के बारे में सुना हैं जो शरीर पर नेगेटिव सोच के कारण आप हेल्दी होने के बावजूद अपने आपको बीमार फ़ील करते हैं।
आइए जानते हैं कि नोसेबो इफेक्ट क्या है और यह एक मरीज को कैसे प्रभावित कर सकता है। इससे बचाव कैसे किया जा सकता है।
क्या होता है नोसेबो इफेक्ट
नोसेबो इफेक्ट के पीछे मनोवैज्ञानिक कारण जिम्मेदार होते हैं। वहीं जब कोई व्यक्ति लगातार अपने हेल्थ को लेकर नेगेटिव सोचता है कि वो बीमार है या फिर उसके सिर में दर्द हो रहा है, तो कुछ टाइम बाद उसके बॉडी में कहीं न कहीं दर्द होना शुरू हो जाता है जब कि उस समय वो इंसान बिल्कुल शारीरिक रूप से फिट होता है। बता दें कि एक स्टडी में नेगेटिव थॉट्स का पेशेंट पर असर क्या होता है यह जानने के लिए सबसे पहले 'नोसबो इफेक्ट' शब्द का इस्तेमाल किया गया था। वहीं इस शब्द को लैटिन शब्द नोसेरा से ली गई है, जिसका मतलब होता है नुकसान पहुंचाना।
क्यों होता है नोसेबो इफेक्ट
आज के टाइम में हर कोई अपने हेल्थ को लेकर जागरूक रहना चाहता है जो कि अच्छी बात है और लोगों को अपने हेल्थ के प्रति जागरूक भी रहना चाहिए। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं जो अपने हेल्थ को लेकर काफी ज्यादा सोचते रहते हैं उनमें अधिक नोसेबो इफेक्ट के लक्षण हो सकते हैं।
नोसेबो इफेक्ट पिछले अनुभवों से प्रभावित होना
नोसेबो कई कारकों से प्रभावित होता है जैसे कि बोल कर दिया गया सूझव और व्यक्ति के अपने पिछले अनुभव। यदि पहले कभी किसी ख़ास दवा के प्रति आपका अनुभव काफी बुरा रहा है तो इस बात की संभावना बढ़ जाती है कि जब इस बार आप इस दवा को खाएं तो इसका आप पर कोई असर ना पड़े। हालांकि कई बार तो ये दवाइयां फायदा करने की बजाय आपको नुकसान पहुंचा सकती हैं।
जान भी जा सकती है नोसेबो से
अक्सर डॉक्टर पेशेंट को उनकी बीमारी की नेगेटिव कन्डिशन को बताने से बचते हैं क्योंकि ऐसा करने से वो जल्दी ठीक होने कि बजाए नेगेटिव सोच के कारण और भी ज्यादा बिगड़ सकता है और इससे उसपर दवाइयों का असर कम हो सकता है। वहीं गंभीर मामलों में नोसेबो-इफ़ेक्ट के कारण पेशेंट की जान तक जा सकती है।
नोसेबो से कन्फ्यूजन होना
कई बार डॉक्टर और चिकित्सक नोसेबो की वजह से काफी कन्फ्यूजन होते हैं क्योंकि एक तरफ वो पेशेंट को उसकी बीमारी बताने के लिए मजबूर हैं वहीं दूसरी तरफ वे चिंतित हैं कि बीमारी या इलाज का नेगेटिव साइड बताने से पेशेंट के ठीक होने की संभावना पर असर पड़ सकता है।
इंटरनेट मीडिया से नोसेबो को बढ़ावा मिलना
डिजिटली दुनिया में हेल्थ से जुड़ी किसी भी बीमारी का नाम सुनते ही लोग सीधा इंटरनेट पर उसके बारे में सर्च करना शुरू कर देते हैं। बता दें कि इंटरनेट पर हेल्थ से जुड़ी ढेरों जानकारियां उपलब्ध है। लेकिन वहाँ पर दी गई जानकारी पूरी तरह से सही नहीं होता है जो लोगों को काफी परेशान करता है। वहीं इंटरनेट पर कुछ बीमारियों को पूरे डीटेल में इस तरीके बताया होता है कि लोग काफी ज्यादा परेशान हो जाते हैं। ऐसे में जिन लोगों को नॉर्मल सिर दर्द होता है वो अपने इस समस्या को किसी और बीमारी से जोड़ कर अपने हेल्थ को लेकर काफी चिंतित हो जाते हैं। जबकि उन्हें कोई प्रॉब्लम नहीं होता है।
गैजेट्स से भी हो सकती है नोसेबो इफेक्ट
लोग अपने हेल्थ को ठीक रखने के लिए कई तरह के गैजेट्स का इस्तेमाल करते हैं जैसे कि कल रात मैं 8 घंटे की नींद नहीं ले पाया, मेरा ब्लड प्रेशर बढ़ रहा है, नाड़ी तेज गति से चल रही है आदि। वहीं यह लोगों को हेल्थ एंग्जाइटी का पेशेंट बना देते हैं। इनकी वजह से हेल्दी व्यक्ति भी खुद को थका हुआ और बीमार महसूस करने लगता है।
नोसेबो इफेक्ट से ऐसे करें बचाव
थॉट रिप्लेसमेंट करें
जब भी मन में आपको आपके सेहत को लेकर कोई नेगेटिव ख्याल आए, तो उससे अपना ध्यान भटकाने की कोशिश करें। साथ ही आप ऐसा काम करें जिससे आपका ध्यान उस चीज से हठ जाएं।
इंटरनेट का इस्तेमाल कम करें
हेल्थ से जुड़ी कोई भी बीमारी के बारे में जानने के लिए इंटरनेट का यूज कम करें। वहीं आप मोबाइल, स्मार्ट वॉच और हेल्थ एप का बहुत ज्यादा इस्तेमाल न करें। साथ ही आप इस बात का ध्यान रखें कि अगर आपको कोई भी हेल्थ से जुड़ी परेशानी होती है तो सीधा डॉक्टर के पास जाएं।
गाना सुने
अगर मन में सेहत को लेकर बुरे ख्याल आ रहे हैं तो आप उससे ध्यान हटाने के लिए गाना सुने। गाना सुनने से आपका ध्यान अपने आप उस बुरे ख्याल से दूर हो जाएगा और आप बेहतर फ़ील करेंगे। इसके अलावा आप अच्छी किताबें पढ़ें और अपने इंटरेस्ट के हिसाब से काम करें।
योग और मेडिटेशन करें
सदियों से शरीर को स्वस्थ रखने और दिमाग को शांत रखने के लिए योग और मेडिटेशन को काफी बढ़िया माना गया है। वहीं अगर आप अपने सेहत को लेकर काफी ज्यादा परेशान हैं और मन में बुरे ख्याल आ रहे हैं तो आप योग और मेडिटेशन कर अपने बुरे विचारों पर कंट्रोल पा सकते हैं साथ ही आप इससे हमेशा फिट टू फाइन रह सकते हैं।