पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान जेल से रिहा हो सकते है। इमरान खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी दोनों को इद्दत केस (फर्जी निकाह) में रिहा कर दिया गया है। इससे पहले उन्हें तोशाखाना केस और साइफर केस में रिहाई मिल चुकी है।
कोर्ट ने क्या कहा?
इस्लामाबाद की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने शनिवार को ये फैसला सुनाया। कोर्ट ने आदेश जारी कर दिए हैं कि इमरान खान(उम्र 71 साल) और बुशरा बीबी किसी और मामले में वॉन्टेड नहीं हैं तो उन्हें जेल से रिहा किया जाए। बता दें कि खान और उनकी पत्नी को फर्जी निकाह केस में 7 साल की जेल और दोनों पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था।
7 साल की सजा और 5 लाख रुपए का जुर्माना लगा था
इस्लामाबाद की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट ने शनिवार को आदेश दिए हैं अगर इमरान खान और बुशरा बीबी किसी और मामले में वॉन्टेड नहीं हैं तो उन्हें तुरंत जेल से रिहा किया जाए। इमरान खान और उनकी पत्नी को फरवरी में फर्जी निकाह मामले में 7 साल की जेल और दोनों पर 5 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था।
जानकारी मुताबिक, खान को पिछले साल 9 मई को इस्लामाबाद हाईकोर्ट से अल कादिर ट्रस्ट केस में गिरफ्तार किया गया था। उनकी गिरफ्तारी पाकिस्तानी रेंजर्स ने की थी।
जेल में ही रहेंगे बंद
रिपोर्ट के मुताबिक इमरान खान अभी जेल में ही बंद रहेंगे, क्योंकि इसी सप्ताह एक अदालत ने मई 2023 में समर्थकों की ओर से दंगा भड़काने के आरोपों को लेकर उनकी जमानत रद्द कर दी थी। इस मामले की सुनवाई करते हुए पाकिस्तान की एक आतंकवाद रोधी कोर्ट ने कहा था कि पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की हरकतें एक आतंकवादी के समान थी।
क्या है इद्दत?
इद्दत एक इस्लामी कानून है, जिसे दूसरे शब्दों में कहें तो यह एक तरह से वेटिंग पीरियड है। जिसका पालन एक महिला को अपने शौहर के इंतकाल या तलाक के बाद करना होता है। इद्दत के दौरान वह महिला किसी अन्य पुरुष से निकाह नहीं कर सकती है। इस मामले में इमरान को 3 फरवरी को दोषी ठहराया गया था। बुशरा बीबी के पूर्व पति, खावर फरीद मनेका ने बुशरा और इमरान पर के खिलाफ इद्दत की अवधि के दौरान शादी का अनुबंध करने का मामला दर्ज कराया था।
इसका मुख्य उद्देश्य पूर्व पति के साथ तलाक या मृत्यु के बाद पैदा हुए बच्चे के पितृत्व के बारे में किसी भी संदेह को दूर करना है। इद्दत की अवधि अलग-अलग परिस्थितियों में अलग-अलग होती है। ज्यादातर एक तलाकशुदा महिला की इद्दत की अवधि लगभग 130 दिनों की होती है। इस दौरान उस महिला के निकाह करने पर पाबंदी होती है। अगर कोई महिला तलाक होने या विधवा होने के बाद गर्भवती है तो इद्दत तब तक जारी रहती है जब तक वह बच्चे को जन्म ना दे दें।