खबरिस्तान नेटवर्क: महाराष्ट्र के एक गांव के लोग खुशी से झूम उठे, जब उनके ही एक चरवाहे के बेटे ने प्रतिष्ठित यूपीएससी परीक्षा पास कर ली। 551वीं रैंक हासिल करने वाले एमेज के बीरप्पा सिद्दप्पा डोनी को यह खबर तब मिली जब वे छुट्टियों में अपने रिश्तेदारों के पास गांव आए हुए थे। आपको बता दें कि बीरप्पा महाराष्ट्र के अमागे गांव के रहने वाले हैं। उन्होंने इस बात का काफी जश्न मनाया। यह खबर मिलते ही उनके पूरे परिवार और गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। गरीब परिवार के बेटे की यह संघर्ष भरी कहानी लोगों को प्रेरित करेगी।
ट्विटर पर वायरल हुआ वीडियो
इस खबर को मिलने के बाद पूरे परिवार ने उस जगह पर खुशी मनाई जहां पर वह रोज भेड़ें चराते थे। गांव वालों ने पूरे पारंपरिक अंदाज में फूल-मालाओं और लोकगीतों के साथ इस कामयाबी का जश्न मनाया। बीरप्पा के इस जश्न का वीडियो ट्विटर पर काफी वायरल भी हो रहा है जिसमें आप उनके पूरे परिवार की खुशी देख सकते हैं।
सेना में अधिकारी बनना था सपना
बीरप्पा सेना में अधिकारी बनना चाहते थे। यह उनका सपना था। आपको बता दें कि उनके बड़े भाई भी भारतीय सेना में कार्यरत हैं। बीरप्पा की स्टडी की बात करें तो उन्होंने बीटेक किया हुआ है। वो सेना में परीक्षा देना चाहते थे लेकिन किसी वजह से यह संभव नहीं हो पाया। इसके बाद उन्होंने इंडिया पोस्ट में नौकरी कर ली। कुछ सालों तक नौकरी करने के बाद उन्होंने वो काम भी छोड़ दिया और सिविल सेवा परीक्षा की तैयार शुरु कर ली। लगातार तीसरे प्रयास में उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। अब वह चाहते हैं कि उनका आईपीएस में चयन हो।
पिता ने भी जताई खुशी
बीरप्पा के पिता सिद्धप्पा डोणी ने कहा कि- 'मुझे इस परीक्षा के बारे में कुछ ज्यादा नहीं पता है लेकिन मुझे विश्वास है कि मेरा बेटा मेहनती और होशियार है लोग कह रहे हैं कि वह बड़ा अधिकारी बनेगा। वह सेना में जाना चाहता था अब पुलिस में जाएगा तो भी मुझे गर्व ही होगा'। वहीं वीरप्पा के चाचा यल्लपा गड्डी ने कहा कि हमारे समुदाय के लिए यह बहुत बड़ी बात है। हमारा भतीजा इतनी कठिन परीक्षा पास कर सका इससे बाकी युवाओं को भी प्रेरणा मिलेगी। हम यही चाहते हैं कि वो एक ईमानदार अफसर बने और गरीबों की मदद करें।
13 लाख छात्रों ने दिया था पेपर
आपको बता दें कि यूपीएससी परीक्षा के लिए इस बार 13 लाख छात्रों ने आवेदन किया था। इनमें से सिर्फ 14,627 ही शुरुआत में परीक्षा पास कर पाए। इनमें से कुल 2,3845 को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था जिसमें से कुल 1,009 उम्मीदवारों को अलग सेवाओं में नियुक्त किया गया है। इनमें से शक्ति दुबे पहले रैंक पर आई हैं, दूसरे स्थान पर हर्षिता गोयल और तीसरे स्थान पर डोंगरे अर्चित पराग रहे हैं।
हर साल यूपीएससी की परीक्षा लाखों लोग देते हैं जिनमें से कुछ ही अपने सपनों को साकार करते हैं। इनमें से कुछ लोगों की कहानियां इतनी प्रेरणादायक होती हैं कि सभी का दिल जीत लेती हैं। ऐसी ही कहानी बीरप्पा डोणी की रही है। यह सिर्फ उनकी ही नहीं बल्कि पूरे भेड़पालक समुदाय और उन सभी युवाओं की कहानी है जो कठिन हालातों में भी अपने सपनों का साकार करने का हौसला रखते हैं।