लालकृष्ण आडवाणी को केंद्र सरकार ने भारत रत्न देने का ऐलान किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। उन्होंने लिखा कि अडवाणी ने भारत के विकास में अहम योगदान दिया है। 1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से ही आडवाणी वह शख्स हैं जो सबसे ज्यादा समय तक पार्टी में अध्यक्ष पद पर बने रहे हैं। तो आइए जानते है उनके
राजनीति जीवन के बारे में कुछ बातें
आडवानी 3 दशक तक वह पहले गृह मंत्री रहे। बाद में अटल बिहारी वाजपायी की कैबिनट में (1999-2004) उप-प्रधानमंत्री बने। 2015 नें उन्हें भारत के दूसरे बड़े नागरिक सम्मान पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।
लाल कृष्ण आडवाणी (जन्म 8 नवंबर 1927) एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं, जिन्होंने 2002 से 2004 तक भारत के 7वें उप प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सह-संस्थापकों में से एक और राष्ट्रीय स्वयंसेवक के सदस्य हैं। संघ (RSS), एक दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवी संगठन।
- BJP National President
1986 1990
1993 1998
2004 2005
इतने समय में वह भाजपा के राष्ट्र अध्यक्ष रहे।
राम मंदिर निर्माण के लिए राम रथ यात्रा
1980 की शुरुआत में विश्व हिंदू परिषद ने अयोध्या में राम जन्मभूमि के स्थान पर मंदिर निर्माण के लिए आंदोलन की शुरुआत करने लगी। उधर आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा राम मंदिर आंदोलन का चेहरा बन गई। आडवाणी ने 25 सितंबर, 1990 को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर सोमनाथ से राम रथ यात्रा शुरू की थी।
सबसे ज्यादा समय तक अध्यक्ष रहे
1980 में भारतीय जनता पार्टी के गठन के बाद से ही आडवाणी वह शख्स हैं जो सबसे ज्यादा समय तक पार्टी में अध्यक्ष पद पर बने रहे हैं।
आडवाणी को बेहद बुद्धिजीवी, काबिल और मजबूत नेता माना जाता है जिनके अंदर मजबूत और संपन्न भारत का विचार जड़ तक है। वाजपायी का कहना था कि आडवाणी ने कभी राष्ट्रवाद के मूलभूत विचार को नहीं त्यागा और इसे ध्यान में रखते हुए राजनीतिक जीवन में वह आगे बढ़े हैं।
आजादी के बाद घर छोड़ना पड़ा
1947 में आडवाणी देश के आजाद होने का जश्न भी नहीं मना सके क्योंकि आजादी के महज कुछ घंटों में ही उन्हें अपने घर को छोड़कर भारत रवाना होना पड़ा। हालांकि उन्होंने इस घटना को खुद पर हावी नहीं होने दिया और मन में इस देश को एकसूत्र में बांधने का संकल्प ले लिया। इस विचार के साथ वह राजस्थान में आरएसएस प्रचारक के काम में लगे रहे।
पाकिस्तान के कराची में जन्म
आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को पाकिस्तान कराची में हुआ था। वह कराची सेंट पैट्रिक्स स्कूल में पढ़ें और उनके देशभक्ति के जज्बे ने उन्हें राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की ओर बढ़ने के लिए प्रेरित किया। वह जब महज 14 साल के थे, उस समय से उन्होंने अपना जीवन देश के नाम कर दिया।
ऐसे शुरू किया राजनीति सफर
1980 से 1990 के बीच आडवाणी ने भाजपा को एक राष्ट्रीय स्तर की पार्टी बनाने के लिए पूरा जोर लगा दिया। लोकसभा चुनावों में 86 सीटे मिली जो उस समय के लिहाज से काफी बेहतर प्रदर्शन था।
पार्टी की स्थिति 1992 में 121 सीटों और 1996 में 161 पर पहुंच गई। आजादी के बाद पहली बार कांग्रेस सत्ता से बाहर थी और बीजेपी सबसे अधिक संख्या वाली पार्टी बनकर उभरी थी।