पंजाब के जिला संगरूर में शहीद उधम सिंह के शहीदी दिवस को समर्पित करते हुए कल छुट्टी का ऐलान किया गया है। संगरूर के डिप्टी कमिश्नर जतिंदर जोरवाल ने जिले के सभी सरकारी और अर्द्ध सरकारी दफ्तरों, स्कूल-कॉलेजों, यूनिवर्सिटी, शिक्षा संस्थानों में 31 जुलाई को छुट्टी का ऐलान कर दिया है।
बता दें कि इस छुट्टी का मकसद लोगों को शहीद के बलीदान को श्रद्धांजली भेंट करने के योग्य बनाना है। साथ ही कहा गया है कि जिन शिक्षा संस्थानों पर परीक्षा चल रही है, वहां लागू नहीं होगी।
कौन थे उधम सिंह
सरदार उधम सिंह 26 दिसंबर 1899 का जन्म पंजाब के संगरूर जिले के सुनाम गांव में हुआ था। उधम सिंह का असली नाम शेर सिंह था। उनके पिता सरदार तेहाल सिंह जम्मू उपल्ली गांव में रेलवे चौकीदार थे। उधम सिंह का एक भाई भी था, जिसका नाम मुख्ता सिंह था। 7 साल की उम्र में उधम अनाथ हो गए थे। पहले उनकी मां चल बसीं और फिर उसके 6 साल बाद पिता ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। मां-बाप के मरने के बाद उधम और उनके भाई मुख्ता को अमृतसर के सेंट्रल खालसा अनाथालय में भेज दिया गया था।
अनाथालय में लोगों ने दोनों भाइयों को नया नाम दिया। शेर सिंह बन गए उधम सिंह और मुख्ता सिंह बन गए साधु सिंह। सरदार उधम सिंह ने भारतीय समाज की एकता के लिए अपना नाम बदलकर राम मोहम्मद सिंह आजाद रख लिया था, जो भारत के तीन प्रमुख धर्मों का प्रतीक है। 1918 में उधम ने मैट्रिक के एग्जाम पास किए। जिसके बाद साल 1919 में उन्होंने अनाथालय छोड़ दिया। उधम सिंह, शहीद भगत सिंह को अपना गुरु मानते थे।