कोरोना वायरस को बीते 4 साल हो चुके हैं लेकिन आज भी यह वर्ल्ड लेवल पर लोगों के सेहत के लिए खतरा बना हुआ है। जी हां जो लोग कोविड से ठीक हो चुके हैं उनमें भी पोस्ट कोविड के जोखिमों लेकर हेल्थ एक्सपर्ट चिंता जताते रहे हैं।
एक बार व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित हो जाए तो उसे कई तरह के हेल्थ प्रॉब्लमस का सामना करना पड़ सकता है। हाल ही में अमरीका की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को के वैज्ञानिकों ने कोविड को लेकर बड़ा खुलासा किया है।
वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि जो लोग कोविड होने के बाद ठीक हुए हैं उनमें 14 महीने या दो साल के बाद भी उनके टिशू के नमूनों में कोविड के एंटीजन मिले हैं। हालांकि इस स्टडी से एक बात तो साबित हो चुकी है कि कोरोना वायरस एक स्वस्थ इंसान के अंदर भी लंबे समय तक जीवित रह सकता है।
जानिए कैसे हो सकता लॉन्ग कोविड की समस्या ज्यादा गंभीर
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सैन फ्रांसिस्को के स्कूल ऑफ मेडिसिन रिसर्चर डॉक्टर माइकल पेलुसो के मुताबिक ये स्टडी अब तक का मजबूत सबूत प्रदान करता है कि कोविड-19 एंटीजन कुछ लोगों में लंबे समय तक बने रह सकते हैं, भले ही हमें लगता है कि उनके पास सामान्य प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं हैं।
वहीं इस स्टडी की रिपोर्ट तीन से छह मार्च 2024 के बीच डेनवर में रेट्रोवायरस पर आयोजित सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए थे। कोविड-19 के स्टार्टिंग में ऐसा लगता था कि यह महामारी एक अल्पकालिक बीमारी है।
लेकिन वर्तमान में कोविड से ठीक हुए रोगियों में मस्तिष्क पर पड़ते प्रभावों के साथ-साथ, पाचन और रक्त प्रवाह सम्बन्धी समस्याएं जैसे स्थाई लक्षण देखे गए हैं। जिससे यह साबित होता है कि लोगों में लॉन्ग कोविड की समस्या कहीं ज्यादा गंभीर है।
स्टडी में किन लोगों की रक्त के नमूनों की जांच हुई
इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने कोविड-19 से संक्रमित हुए 171 लोगों के रक्त के नमूनों की जांच की थी। इसमे रिसर्चर्स ने कोविड-19 के “स्पाइक” प्रोटीन को गहराई से जानने के लिए एक अति-संवेदनशील टेस्ट की मदद ली।
बता दें कि "स्पाइक" प्रोटीन के जरिए ही वायरस मानव के शरीर में प्रवेश करता है। इस स्टडी के बाद रिसर्चर्स को जो परिणाम मिले हैं उसके हिसाब से कुछ लोगों में यह वायरस 14 महीनों तक बना रह सकता है।
अभी भी हो सकता वायरस एक्टिव
इस स्टडी में यह भी सामने आया कि इनके अंश संयोजी ऊतकों में मौजूद थे जहां प्रतिरक्षा कोशिकाएं मौजूद थी। वहीं कुछ नमूनों से पता चला है कि वायरस अभी भी एक्टिव हो सकता है। ऐसे में देखा जाए तो यह एक कारण हो सकता है कि लोग बार-बार कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं।
ऐसी स्तिथि में लोगों को कोरोना के जोखिमों से बचने के लिए कुछ सावधानी बरतने की जरूरत है। साथ ही रिसर्चर के मुताबिक लॉन्ग कोविड और उससे जुड़े जोखिमों जैसे दिल के दौरे और स्ट्रोक जैसी बीमारियों के होने रिस्क काफी बढ़ सकते हैं। हालांकि इसे समझने के लिए वैज्ञानिकों को ओर अधिक शोध करने की जरूरत है।
वर्तमान में देश में कोरोना के 1,076 मामले एक्टिव
डब्ल्यूएचओ के आंकड़ों के मुताबिक कोविड-19 वायरस अब तक दुनिया भर में 77,47,71,942 लोगों को संक्रमित कर चुका है। इनमें से 70,35,337 लोगों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि बाकी इस महामारी से ठीक हो चुके हैं। हालांकि इनमें से बहुत से लोग अभी भी लॉन्ग कोविड से होने वाली समस्याओं से जूझ रहे हैं।
वहीं भारत से जुड़े आंकड़ों को देखें तो 12 मार्च 2024 को हेल्थ मिनिस्टर के द्वारा जारी किये आंकड़ों के मुताबिक देश में कोरोना के 1,076 मामले अभी भी एक्टिव हैं। साढ़े चार करोड़ से अधिक लोग अब तक देश में इस महामारी की चपेट में आ चुके हैं। इनमें 5,33,510 संक्रमितों की मृत्यु हो चुकी है जबकि 4,44,97,114 लोग इस बीमारी से बच चुके हैं।