खबरिस्तान नेटवर्क : किडनी हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंगो में से एक है। किडनी को खानपान के अलावा हम योग से भी स्वस्थ रख सकते है किडनी वेस्ट मटेरियल को शरीर से बाहर निकालकर ब्लड प्यूरिफायर करने का काम करता है। साथ ही ये बल्ड से वेस्ट और खराब पदार्थों को फ़िल्टर करने, बल्ड प्रैशयर को नियंत्रित करने, स्वस्थ के लिए विटामिन डी को सक्रिय करने के साथ ही अलग-अलग शारीरिक कामों के लिए जिम्मेदार हैं।
एक्सपर्टस का कहना है कि अपने किडनी स्वस्थ रखने के लिए, बल्ड शूगर के स्तर को नियंत्रित करना, धूम्रपान छोड़ना, शराब का सेवन न करना, हाइड्रेटेड रहना और रुटीन मैडिकल परीक्षण कराना महत्वपूर्ण है। तो आज हम इस लेख में जानेंगे कि किडनी को हैल्दी ऱखने के लिए हम किन योगासन को अपना सकते है-
1.पश्चिमोत्तानासन - आगे की ओर झुककर बैठना:
पहले दंडासन से शुरुआत करें, अपने पैरों को आगे की ओर फैलाएं और एनकल्स को एक साथ रखें। अपने पैरों को सीधा रखते हुए घुटनों पर थोड़ा झुकें। अपनी बाहों को ऊपर की ओर फैलाएं और अपनी रीढ़ को सीधा रखें। सांस छोड़ें और अपने पेट को हवा से खाली कर लें। अपने ऊपरी शरीर को अपने निचले शरीर पर लाते हुए, कूल्हों पर आगे की ओर झुकें। अपनी पीठ को सीधा रखते हुए अपने पेट को अपनी जांघों के करीब लाने की कोशिश करें। अपनी बाहों को नीचे करें और अपने बड़े पैर की उंगलियों को अपनी उंगलियों से पकड़ें। अपने पेट को अपनी जांघों पर रखते हुए अपने घुटनों को अपनी नाक से छूने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहें।
फ़ायदे:
• पाचन में मदद करता है और कब्ज से राहत देता है।
• पेट और पैल्विक अंगों को टोन करता है।
• मासिक धर्म चक्र को संतुलित करता है।
• मस्तिष्क को शांत करता है और विश्राम को बढ़ावा देता है।
• तनाव, हल्के अवसाद और थकान से राहत दिलाता है।
• यकृत, गुर्दे, अंडाशय और गर्भाशय को उत्तेजित करता है।
• पाचन में सुधार करता है और रजोनिवृत्ति और मासिक धर्म की परेशानी से राहत देता है।
• सिरदर्द, चिंता और उच्च रक्तचाप को शांत करता है।
2. धनुरासन - Bow pose:
अपने पेट के बल लेटकर शुरुआत करें। अपने घुटनों को मोड़ें और अपनी एड़ियों को अपनी हथेलियों से पकड़ें, मजबूत पकड़ बनाए रखें। अपने पैरों और भुजाओं को जितना हो सके ऊपर उठाएं। ऊपर देखें और कुछ देर इसी मुद्रा में रहें।
फ़ायदे:
• कंधों को खोलता है।
• पेट की चर्बी को कम करता है।
• पेट के अंगों की मालिश करता है।
• पीठ के लचीलेपन में सुधार करता है।
3. चक्रासन - पहिया मुद्रा:
अपनी पीठ के बल लेट जाएं। अपने पैरों को घुटनों से मोड़ें और सुनिश्चित करें कि आपके पैर मजबूती से फर्श पर टिके हुए हैं। अपनी भुजाओं को कोहनियों पर मोड़ें, हथेलियाँ आकाश की ओर रखें। अपनी भुजाओं को कंधों पर घुमाएँ और अपनी हथेलियों को अपने सिर के पास दोनों ओर फर्श पर रखें। श्वास लें, अपनी हथेलियों और पैरों पर दबाव डालें और अपने पूरे शरीर को एक आर्च बनाने के लिए उठाएं। पीछे देखें और अपनी गर्दन को आराम दें क्योंकि आप अपने सिर को धीरे से पीछे की ओर आने दें। अपने शरीर के वजन को अपने चारों अंगों के बीच समान रूप से वितरित करें। कुछ देर इसी मुद्रा में रहें।
फ़ायदे:
• छाती खुलती है और फेफड़ों की क्षमता में सुधार होता है।
• शरीर में तनाव को कम करता है।
• हाथों और पैरों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है।
• अंतःस्रावी ग्रंथियों को उत्तेजित करता है और शरीर के इष्टतम चयापचय को बनाए रखता है।
• लीवर, सपाईन और किडनी की प्रक्रियाओं को उत्तेजित करता है।
• बल्ड शुद्धि और सर्कुलेशन को बढ़ाता है।
एक्सपर्टस के मुताबिक, “इन योग प्रथाओं को अपनी रुटीन और जीवनशैली में शामिल करके, आप किडनी के स्वस्थ्य रख सकते हैं। नियमित व्यायाम और संतुलित डाईट के माध्यम से स्वस्थ वजन बनाए रखना महत्वपूर्ण है जिसमें नमक और फैटी फूडस को सीमित करते हुए फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल हों। ये कदम उठाकर, आप किडनी की बीमारी को रोकने और अपनी किडनी के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकते हैं।