ख़बरिस्तान नेटवर्क, जालंधर : एक नई तकनीक से आपको पहले ही पता चल जायेगा कि आपके लीवर में कोई दिक्कत तो नही हो रही है। इस नई तकनीक का नाम इलास्टोसोनोग्राफी है। बता दें इंडियन रेडियोलॉजिकल एंड इमेजिंग एसोसिएशन पंजाब चैप्टर की दो दिवसीय नैशनल कांफ्रैंस जलकॉन-2023 का आगाज आज से हो गया है।
इसकी अध्यक्षता पंजाब स्टेट चैप्टर आईआरआईए के प्रेसिडेंट डॉ. मुकेश गुप्ता कर रहे है। इस कांफ्रैंस में देश भर से 400 से अधिक रेडियोलॉजिस्ट डाक्टर भाग ले रहे है। जलकॉन-2023 कांफ्रैंस के पहले दिन खबरिस्तान की टीम ने IRIA बिल्डिंग कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर राहुल सचदेव से लीवर से जुड़ी बीमारियों और उनकी पहचान करने वाली नई तकनीक इलास्टोसोनोग्राफी के बारे में बात की।
Sex Determination को लेकर IRIA क्या कदम उठा रही है
जब उनसे Sex Determination के खिलाफ IRIA की तरफ से उठाए गए कदमों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया कि IRIA Sex Determination के खिलाफ है, अगर हमारी संस्था का कोई भी मेम्बर ऐसे मामले में पकड़ा जाता है तो उसके खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाती है। सरकार ने भी कई कड़े कदम उठाए हैं जिनमे PNDT ऐक्ट भी शामिल है। उन्होंने कहा सोसाइटी अगर लड़के की चाह को खत्म कर दें तो ये समस्या खुद ब खुद खत्म हो जाएगी।
भारत मे प्रिवेंटिव रेडियोलोजी का क्या रोल है?
प्रिवेंटिव रेडियोलोजी एक ऐसी तकनीक है जिसमे पहले ही बीमारी के लक्षण ढूंड कर उसका इलाज समय से पहले शुरू किया जा सके। IRIA की प्रिवेंटिव रेडियोलॉजी पहल एक राष्ट्रीय पहल है जो भारत में नैदानिक प्राथमिकताओं के लिए प्रारंभिक पहचान, पूर्वानुमान और हस्तक्षेप के लिए निवारक दवा के साथ नैदानिक रेडियोलॉजिकल सेवाओं के एकीकरण का विस्तार करने पर केंद्रित है। उन्होंने बताया कि कार्यक्रम की कल्पना और स्थापना डॉ. रिजो मैथ्यू द्वारा की गई है।
इसी के साथ इस कांफ्रैंस मे Elastosonography चर्चा का मुख्य विषय रही। ये एक नई टेक्नॉलजी है जिस से पता चलता है की लिवर कितना हार्ड हो चुका है। शराब और जॉन्डिस की वजह लिवर हार्ड होने लगता है और वहीँ इस तकनीक से ये पता चलता है की लिवर कितना खराब हो चूका है। ये भी पता चल जाता है की लिवर मे कितनी चर्बी आ चुकी है, चर्बी का पता लगाने के बाद सबसे पहला स्टेप fibrosis\cirrhosis मे जाने से पहले ही पता लगा लिया जाता है, जब लिवर में फैट आता है।
Liver transplant मे elastosonography का क्या रोल है?
Liver transplant मे elastosonography का एक बहुत बड़ा रोल है। किसी भी लिवर ट्रांसप्लांट से पहले ये टेस्ट किया जाता है और जब सही लिवर मिल जाता है उसके बाद ही ट्रांसप्लांट का प्रोसेस शुरु किया जाता है। वही दूसरी तरफ लिवर transplant के प्रोसेस के बाद जिन पैशन्ट को लिवर मिला है उसका भी elastosonography टेस्ट किया जाता है जिस से देखा जा सके की लिवर ट्रांसप्लांट के बाद पैशन्ट का लिवर सही से काम कर रहा है या नहीं।
अगर बात करें लिवर पर alcohol के असर की तो डॉक्टर राहुल सचदेव ने बताया की मरीज को अपने लिवर की वैल्यू के बारे में पता होना चाहिए, जिसके साथ वो अपने लिवर का ध्यान रख सकता है। पूरे शरीर मे सिर्फ लिवर ही एक ऐसा अंग है जो ठीक हो सकता है। उसका damage reversible है तो अगर कोई आदमी शराब का सेवन बंद कर देता है या अपना वजन कम कर लेता है, उस से अपने आप ही लिवर स्वस्थ हो जाता है।
उन्होंने बताया कि अमेरिका में 60 % लोगों को फैटी लीवर की समस्या है। वहीं पर भारत में 27% लोगों को ये दिक्कत है और भारत में फैटी लीवर का असल कारण शराब नहीं बल्कि कमजोर मेटाबोलिज्म है। इसी के साथ साथ फैटी लीवर का भारत में मुख्य कारण मोटापा और डायबिटीज भी है।
उन्होंने कहा लिवर के प्रोसेस में सबसे पहले फैट बढ़नी शुरू हो जाती है फिर धीरे धीरे फैटी लीवर से Nash liver पर चला जाता है। लेकिन प्रिवेंटिव रेडियोलोजी में पहले ही बता दिया जाता है की मरीज का लिवर खराब होना शुरू हो गया है। उन्होंने ये भी बताया कि लिवर को ठीक रखने के लिए सबसे आसान तरीका साधारण डाइट, डेली एक्सरसाइज और खुद पर कंट्रोल रखना है। ये एक ऐसा ऑर्गन है जिसमे जो भी स्टेज हो लिवर का उसे ठीक किया जा सकता है।