लिवर हमारे शरीर का एक बड़ा अंग है। ये खाना पचाने और हमारे शरीर से अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकालने में मदद करता है। वहीं गलत आदतों या कई अलग कारणों से हमारा लिवर खराब होने लगता है जिससे कई खतरनाक बीमारी होने का खतरा रहता है। उन में से एक खतरनाक बीमारी फैटी लिवर भी है। जिन लोगों को फैटी लिवर की समस्या होती है, उन्हें अपनी डायट को लेकर खास सतर्कता बरतने की जरूरत होती है। क्योंकि फैटी लिवर वाले लोगों को पेट और पाचन से जुड़ी समस्याएं अक्सर होती रहती हैं। इनमें पॉटी ठीक से ना होना, पेट में गैस बनना, लगातार एसिडिटी रहना जैसी समस्याएं शामिल हैं।
क्या होता है फैटी लिवर?
-जैसा कि नाम से ही साफ है कि फैटी लिवर की समस्या लिवर में फैट जमा होने से संबंधित है। हमारे भोजन के जरिए शरीर में जानेवाला फैट अलग-अलग अंगों में जमा होना सामान्य प्रक्रिया होती है।
-लेकिन जब लिवर में बहुत अधिक फैट जमा होने लगता है तो उसकी कार्यप्रणाली में बाधा आने लगती है। इस कारण लिवर भोजन का पाचन संबंधी कार्य सही तरीके से नहीं कर पाता है।
जानें फैटी लिवर की समस्या के कारण
-लिवर मुख्य रूप से खाने से प्राप्त होनेवाले रस से ऊर्जा का उत्पादन करने का कार्य करता है। साथ ही ब्लड प्यूरिफिकेशन और सप्लाई से जुड़े जरूरी काम करता है।
-लेकिन जब लिवर पर अतिरिक्त फैट जमा होने का दबाव पड़ता है तो वह ऊर्जा उत्पादन का काम सही प्रकार से नहीं कर पाता है। इससे फैटी लिवर वाले व्यक्ति बहुत जल्दी खुद को थका हुआ महसूस करने लगते हैं।
ये आसान फैटी लिवर में काफी असरदायक -
हलासन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपनी पीठ के बल जमीन पर लेट जाएं और अपने दोनों हाथों को नीचे रख लें। उसके बाद धीरे धीरे अपने दोनों पैरों को बराबर से ऊपर उठाएं और फिर अपनी कमर के सहारे अपने सिर के पीछे की ओर जाए। अपने सिर को तब तक सिर के पीछे ले जाएं जब तक आपके पैर ज़मीन को न छू लें।
अर्ध मत्स्येन्द्रासन
अर्ध मत्स्येन्द्रासन को करने के लिए अपने एक पैर के उपर से हाथ को ले जाए और दूसरे पैर के अंगूठे को पकड़ने की कोशिश करें। धीरे से सांस छोड़ते हुए अपने धड़ को मोड़ें, और फिर अपनी गर्दन को मोड़ने का प्रयास करें, और फिर उसी ओर ध्यान केंद्रित करें। अपने हाथ को फर्श पर अच्छे से टिका लें।
जानु शीर्षासन
जानु शीर्षासन को करने के लिए जमीन पर बैठें और फिर पैरों को सामने फैलाएं। अब एक घुटने को मोड़ ले और पैर के तलवे को दूसरी जांघ के अंदर ले जाएं। आगे की ओर झुकते हुए दोनो हाथों को दूसरे पैर की ओर फैलाएं और कोहनियों को सीधा रखें। पहले पैर के पंजे को दूसरे हाथ से पकड़े और फिर हाथ से पैर के किनारे को पकड़ें। उसके बाद धीरे से अपने सिर घुटने के करीब ले जाए।