इजराइल-हमास जंग को रोकने के लिए 27 अक्टूबर को युनाइटेड नेशन जनरल असेंबली में प्रपोजल लाया गया। इस प्रपोजल पर भारत ने वोटिंग करने से दूरी बनाई। दरअसल इसमें हमास के हमलों की किसी भी तरह की बात नहीं की गई थी।
भारत ने न ही समर्थन किया, न ही विरोध जताया। इस प्रपोजल के पक्ष में 120 देशों ने वोट किया, वहीं 14 देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया। भारत समेत 45 देशों ने वोटिंग से दूरी बनाई।
जॉर्डन ने पेश किया प्रपोजल
27 अक्टूबर को के UNGA 193 सदस्य देश 10वें इमरजेंसी स्पेशल सेशन में मुलाकात हुई। मिडिल ईस्ट के देश जॉर्डन ने गाजा संकट को लेकर इस प्रपोजल को पेश किया। इसे भारी बहुमत से अपनाया गया। भारत के अलावा वोट नहीं करने वाले देशों में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, जर्मनी, जापान, यूक्रेन और यूके शामिल थे।
प्रपोजल में 40 देशों ने समर्थन किया
इस प्रपोजल (UN Resolution) पर 40 से ज्यादा देशों ने समर्थन किया, जिसमें बांग्लादेश, मालदीव, पाकिस्तान, रूस और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं। जबकि 45 देशों ने खुद को इससे अलग रखा।
क्यों किया इसका विरोध?
इस प्रपोजल में हमास का कोई जिक्र नहीं किया गया है। अमेरिका ने इस बात को शामिल नहीं करने पर कड़ा ऐतराज जताया है। प्रस्ताव पर असेंबली में वोटिंग से पहले कनाडा ने संशोधन पेश किया, जिसका अमेरिका ने समर्थन किया।
इस प्रपोजल में संशोधन करने की कही बात
इस संशोधन के तहत प्रस्ताव में एक पैराग्राफ जोड़ने की बात कही गई है। इसमें ये बात जोड़ने का प्रस्ताव था कि असेंबली हमास की ओर से किए आतंकवादी हमलों की साफ तौर पर निंदा करती है और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बंदी बनाए गए लोगों की सुरक्षा की मांग करती है।
इसमें बंदियों को तुरंत और बिना किसी शर्त के रिहा करने की भी बात कही गई थी।
भारत ने संशोधन के पक्ष में वोट किया
भारत ने 87 अन्य देशों के साथ संशोधन के पक्ष में वोट किया था। जबकि 55 अन्य देशों ने इसके विरोध में मत दिया था। 23 देशों ने खुद को इस पर वोटिंग से अलग रखा था। इस संशोधन को वोटिंग में मौजूद सदस्यों की दो-तिहाई बहुमत नहीं मिला।इसलिए ये पास नहीं हुआ।