शारदीय नवरात्र की शुरुआत 3 अक्टूबर से हो रही है जो 12 अक्टबर तक चलेंगे। यह पर्व जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा को समर्पित है। वहीं, इन दिनों धार्मिक नगरी श्री माता चिंतापूर्णी में मेला प्रशासन ने श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं देने का दावा किया है। इसी के साथ मंदिर के कपाट सुबह 4 बजे खोले जाते हैं और रात 10 बजे बंद कर दिए जाते हैं।
नवरात्रों के दौरान मंदिर का समय भक्तों की संख्या के अनुसार चलेगा। श्रद्धालु सुगम दर्शन व्यवस्था के तहत मां के दर्शन भी कर सकेंगे। ऐसे में फैसला किया गया है कि अगर नवरात्रों में भीड़ बढ़ती है तो मंदिर अधिकारी मंदिर के खुलने और बंद होने के समय में बदलाव करेंगे।
दुल्हन की तरह सजाया गया मंदिर परिसर
बता दें कि मंदिर परिसर को दुल्हन की तरह सजाया गया है, मंदिर की रंग-बिरंगे फूलों से सजावट की गई है। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए बेहतर प्रबंधों का दावा किया है। मेले के दौरान मंदिर परिसर क्षेत्र में सीसीटीवी कैमरों से जिला प्रशासन पूरी निगरानी रख रहा है। सुरक्षा की दृष्टि से पूरे मेला क्षेत्र को छावनी में तबदील किया गया है और मुख्य जगहों पर पुलिस बैरियर स्थापित कर दिए गए हैं।
क्या हैं नवरात्रा का महत्व
नवरात्र संस्कृत का शब्द है। इसका अर्थ नौ रात है। इन नौ दिनों में उपवास रखकर दुर्गा देवी की पूजा की जाती है। दुर्गा सप्तसती का पाछ, दुर्गा स्त्रोत और दुर्गा चालीसा के साथ राम चरितमानस का भी पाठ किया जाता है। भक्ति भाव से आराधना करने से दुर्गा मां प्रसन्न होती हैं। उन्होंने बताया इस बार माता पालकी में आ रहीं हैं। नवरात्र की शुरूआत गुरुवार अथवा शुक्रवार से होती है तो माना जाता है कि माता पालकी या डोली में आ रहीं हैं।
कलश स्थापना का समय
बताया जा रहा है कि इस बार कलश स्थापना का समय सुबह 6 बजकर 15 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। इस तरह कलश स्थापना का समय कुल 1 घंटा 6 मिनट रहेगा। इसके अलावा कलश स्थापना अभिजीत मुहूर्त में भी की जा सकती है। अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। यानि 47 मिनट का समय मिलेगा।