बांग्लादेश में नई बनी अंतरिम सरकार को आज एक महीना पूरा हो गया है। विद्रोह और हिंसा के बीच शेख हसीना ने देश छोड़ दिया। इस बीच यूनुस सरकार के कट्टरपंथी समर्थक जमात-ए-इस्लाम पार्टी ने रवींद्रनाथ टैगोर के लिखे बांग्लादेश के राष्ट्रागान 'अमार सोनार बांग्ला' को बदलने की आवाज तेज कर दी है।
बता दें कि अंतरिम सरकार के बनने पर देश का कानून पूरी तरह से बदल दिया है। राजधानी ढाका में अंतरिम सरकार के गठन के बाद से ही हालात सामान्य हो गए थे। हालांकि, अंतरिम सरकार में धार्मिक मामलों के मंत्री खालिद हुसैन ने राष्ट्रगान बदलने से इनकार किया है।
1971 भारत ने बांग्लादेश पर राष्ट्रगान थोपा
जमात-ए-इस्लामी के पूर्व अमीर गुलाम आजम के बेटे अब्दुल्लाहिल ने आरोप लगाया था कि 1971 में भारत ने बांग्लादेश पर यह राष्ट्रगान थोपा था, जिसे बदलने की आवश्यकता है। अब इस पूरे मामले पर यूनुस सरकार की तरफ से बयान आया है। देश में धार्मिक मामलों के सलाहकार खालिद हुसैन ने कहा कि बांग्लादेश के राष्ट्रगान को बदलने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने साफ किया कि अंतरिम सरकार विवाद पैदा करने के लिए कुछ भी नहीं करेगी।
संविधान बदलने के लिए कमेटी का गठन हो चुका
जानकारी के मुताबिक, अंतरिम सरकार संविधान बदलने के लिए रिटायर्ड फौजी अफसरों की कमेटी बना चुकी है। फौज समर्थित अंतरिम सरकार आने वाले दिनों में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम से जुड़े प्रतीकों को खत्म करेगी। स्टूडेंट के आंदोलन में बंग बंधु मुजीबुर रहमान की प्रतिमा गिराई जा चुकी है। ऐसे में राष्ट्रगान बदलने पर कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
शेख हसीना के सभी अधिकारी बदले
नई सरकार ने पूर्व पीएम शेख हसीना की तरफ से नियुक्त किए गए सभी अधिकारियों को हटा दिया है। मुख्य न्यायाधीश, बांग्लादेश बैंक गवर्नप, आईजीपी आरएबी डीजी बीजीबी डीजी, डीएमपी कमिश्नर, अटॉर्नी जनरल, अलग-अलग मंत्रालयों के 30 सचिव बदले गए।
इसके अलावा, कई देशों में मौजूद बांग्लादेश के राजदूतों को या तो वापस बुला लिया है या फिर बर्खास्त कर दिया है। करीब 50 से ज्यादा विश्वविद्यालयों के वीसी, कोषाध्यक्ष और रजिस्ट्रार, 147 स्कूल और कॉलेज प्रिंसिपल, यूजीसी प्रमुख नई नियुक्तियां की गई है।
आरक्षण को लेकर भड़की थी हिंसा
आपको बता दें कि 21 जुलाई 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने स्वतंत्रता सेनानियों के नातेदारों को 30 प्रतिशत आरक्षण देने को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। हिंसा भड़कने का मुख्य कारण है- नौकरी में आरक्षण। छात्र आरक्षण पर रोक लगाना चाहते हैं।
दरअसल, बांग्लादेश सरकार ने पब्लिक सेक्टर की 30 प्रतिशत नौकरियां उन लोगों के लिए आरक्षित (Reserved) किया है, जिनके परिवार ने 1971 में पाकिस्तान से स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी। प्रदर्शनकारियों का तर्क है कि सरकार की यह व्यवस्था भेदभाव बढ़ाती है। इसी के खिलाफ लोगों का गुस्सा फुट पड़ा है।