फरीदकोट में दीप सिद्धू के करीबी गुरप्रीत सिंह हत्याकांड मामले में बड़ा खुलासा हुआ है। पंजाब डीजीपी गौरव यादव ने इस मामले में खुलासे किए हैं। डीजीपी ने बताया कि इस हत्याकांड में ड्रिबूगढ़ जेल में बंद सांसद अमृतपाल सिंह का नाम सामने आ रहा है। वहीं, इस हत्याकांड का मास्टरमाइंड अर्श डल्ला है।
3 आरोपियों को किया गिरफ्तार
डीजीपी ने बताया कि इस मामले में विदेश में बैठे गैंगस्टरों का पूरा प्लान है। इस मामले शूटरों की पहचान कर ली गई और 3 आरोपियों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है। डीजीपी ने कहा कि इस मामले में जो भी सामने आएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि सीसीटीवी की जांच की जा रही है।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों की पहचान बिलाल अहमद उर्फ फौजी, गुरदीप सिंह उर्फ पोंटू और अर्शदीप सिंह उर्फ झंडू के रूप में हुई है। गिरफ्तार किए गए तीनों व्यक्ति रेकी करने वाले ग्रुप में शामिल थे, जिनको हैंडल कनाडा आधारित कर्मवीर सिंह उर्फ गोरा द्वारा किया जा रहा था।
पहले की रेकी फिर दिया घटना को अंजाम
इस मामले में पहले सिद्धू मूसेवाला की तरह रेकी गई और फिर वारदात को अंजाम दिया गया है। गुरप्रीत की हत्या करने के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है। सबूतों के आधार पर इस मामले में गरहाई से जांच की जा रही है। डीजीपी का कहना है कि इस मामले में और भी कई खुलासे होने की संभावना है।
पंचायत चुनाव में प्रचार कर वापस लौट रहे थे
आपको बता दें कि गुरप्रीत की हत्या 9 अक्टूबर को हुई थी। फरीदकोट के हरि नौ के रहने वाले गुरप्रीत सिंह (32) अपने समर्थकों के साथ सरपंच पद के प्रत्याशी के हक में प्रचार करके घर वापसा लौट रहे थे। इसी बीच मोटरसाइकिल पर सवार हमलावरों ने उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग करके मौत के घाट उतार दिया।
डीजीपी के मुताबिक जांच के दौरान कई तथ्य अमृतपाल सिंह की भूमिका को दर्शाते हैं। जांच के दौरान दर्ज किए गए कुछ बयानों के अनुसार यह हत्या अमृतपाल सिंह के इशारे पर की गई थी। वारदात वाली जगह पर लगे सीसीटीवी फुटेज की जांच की गई और हमलावरों के आने-जाने के रास्ते का पता लगाने के लिए सीसीटीवी देखी गई।
फरीदकोट जिला पुलिस ने बारीकी से जांच करते हुए 125 किलोमीटर के घेरे में सीसीटीवी फुटेज का विश्लेषण किया, जिससे पुलिस को संदिग्ध व्यक्तियों की गतिविधियों का पता लगाने और लीड विकसित करने में मदद मिली। मोबाइल टावर के माध्यम से रिकॉर्ड प्राप्त किया गया और इसकी व्यापक डेटा विश्लेषण साधनों के माध्यम से जांच की गई। विदेशों में रहने वाले व्यक्तियों के साथ संपर्क स्थापित किया गया।