कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को बड़ा झटका लगा है। मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण (MUDA) केस में कर्नाटक हाईकोर्ट द्वारा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को कोई राहत नहीं मिली है। हाईकोर्ट ने कहा कि सिद्धारमैया पर केस चलेगा। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि याचिका में बताए गए तथ्यों की जांच करने की जरूरत है।
जानकारी के लिए बता दें कि सिद्धारमैया की याचिका पर एकल न्यायाधीश की पीठ ने सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सिद्धारमैया की ओर से प्रतिनिधित्व किया। वहीं उनकी याचिका के खिलाफ राज्यपाल थावरचंद गहलोत की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलीलें दीं।
वहीं शिकायतकर्ताओं का आरोप है कि एमयूडीए ने मैसूर की एक प्राइम लोकेशन पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की पत्नी को अवैध रूप से 14 भूखंड आवंटित किए। कर्नाटक हाईकोर्ट ने 19 अगस्त को पारित अपने अंतरिम आदेश में सिद्धारमैया को अस्थायी राहत दे दी थी। इसके साथ ही बेंगलुरू की एक विशेष अदालत को भी आगे की कार्यवाही स्थगित करने और राज्यपाल द्वारा दी गई मंजूरी के पालन में कोई भी जल्दबाजी वाली कार्रवाई न करने के निर्देश दिए थे।
अब कह सकतें हैं कि इस फैसले का राज्य की राजनीति पर सीधा असर पड़ने की संभावना है। निचली अदालत एमयूडीए मामले में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने जैसी कानूनी कार्यवाही शुरू करेगी। इससे मुख्यमंत्री पर इस्तीफा देने का दबाव और बढ़ जाएगा।