पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब के तीन IAS अफसरों को दोषी करार देते हुए उन्हें 20 नवंबर ने पहले कार्रवाई करने का अल्टीमेटम दिया गया है। वहीं कहा गया है कि इस पर अमल नहीं होने पर सजा देने को कहा है। इस मसले में एडिशनल चीफ सेक्रेटरी कम फाइनेंस कमिश्नर विकास गर्ग, प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर ऑफ फॉरेस्ट मोहाली रमाकांत मिश्रा और लोकल गवर्नमेंट विभाग के प्रधान सचिव अजॉय शर्मा को दोषी करार दिया है।
हाईकोर्ट ने अपनाया कड़ा रुख
हाईकोर्ट ने 2014 की एक याचिका पर फैसला सुनाया था कि अगर यह फॉरेस्ट लैंड नहीं है तो ये शर्तें लागू नहीं होंगी, इसलिए नई नोटिफिकेशन दी जाए। हाईकोर्ट को बताया गया था कि यह फॉरेस्ट लैंड नहीं है, बावजूद इसके यह शर्तें नहीं हटाई गईं। इसके खिलाफ हाईकोर्ट में लगातार याचिकाएं दाखिल होती रही। मगर कोई कार्रवाई नहीं की गईं। अब हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए आदेशों के बावजूद कार्रवाई नहीं करने पर इन तीन IAS अधिकारियों को इसका दोषी करार दिया है।
पंजाब लैंड प्रिजार्वेशन एक्ट से किया गया डी-लिस्ट
इसमें कहा है कि 20 नवंबर को मामले की अगली सुनवाई तक कारवाई नहीं की, तो इन्हें सजा सुना दी जाएगी। मामला नया गांव के पास ग्राम पंचायत बड़ी करोरां की याचिका से जुड़ा है। बता दें कि 2010 में गांव बड़ी करोरां और नाड़ा की 1092 एकड़ जमीन को पंजाब लैंड प्रिजार्वेशन एक्ट से डी-लिस्ट किया गया था।साथ ही शर्त लगा दी गई थी कि यहां कोई व्यावसायिक गतिविधि या कंस्ट्रक्शन नहीं किया जाएगा।