ख़बरिस्तान नेटवर्क, जालंधर/शंकर गुज्जर: वेस्ट मैनेजमेंट प्रोजेक्ट के तहत शहर में जगहों पर निगम की तरफ से कूड़े से खाद बनाने के लिए पिट्स (कंपोस्ट पिट) बनाए गए हैं। जिन पर 4 करोड़ रुपए के करीब लागत आई है। लेकिन चारों में से केवल एक ही इस समय चालू हालत में है (दकोहा वाला) बाकी तीन कंपोस्ट पिट अभी तक चालू ही नही हो पाए।
लेकिन निगम अधिकारियों की तरफ से वाहवाही लूटने के लिए निकाए मंत्री बलकार सिंह को यह बताया गया कि चार प्लांटों में रोजाना 10 टन कूड़े को प्रोसेस करके खाद बनाई जा रही है। लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है। बड़िंग, बस्ती शेख और फोल्डीवाल में बनाए गए पिट्स तो तैयार हैं। लेकिन कर्मचारियों व मशीनरी की कमी होने के कारण चालू ही नही हो पा रहे।
दकोहा में बने पिट्स को संभाल रहे दो कर्मचारी
1 करोड़ रुपए के करीब की लागत से दकोहा में 48 पिट्स बनाए गए हैं। जहां 15 कर्मचारियों की ड्यूटी एक सुपरवाइजर और एक मोटिवेटर दे रहे हैं। बाकी खाद बनाने के लिए दोनो कर्मचारी रेग पिकर्स की सहायता लेते हैं।
इसी के साथ सुपरवाइजर सरजू और मोटिवेटर सोनिया कई बार खुद कूड़ा उठाकर भी लेकर आते हैं जिससे खाद बन सकती है। 11 नंबर वार्ड के लोगों को कई बार जागरूक कर चुके हैं कि गीला और सूखा कूड़ा अलग अलग रखें ताकि उस से खाद बनाने में आसानी हो सके।
पिट्स तो बना दिए लेकिन मशीनरी दी ही नहीं
दकोहा में जो पिट्स बनाए गए हैं। उसमें मशीनरी लगाई ही नहीं गई। जिस कारण वहां पर मौजूद दोनों कर्मचारियों को खाद बनाने के लिए कूड़े को खुद ही अलग करना पड़ता है और पिट्स में डालना पड़ता है। यहां तक की कर्मचारियों के पास कटर मशीन भी नहीं है।
कूड़े को छोटा करने के लिए दुरमट और रेहड़ियों का इस्तेमाल करना पड़ता है। जब कूड़े को पिट्स के पास फैला दिया जाता है तो उसके उपर से रेहड़ियां गुजारी जाती हैं ताकि कूड़ा बारीक हो जाए और आसानी से पिट्स में डाला जा सके।
60 दिन बाद 50 किलो खाद ही हो रही तैयार
मौके पर मौजूद सुपरवाइजर सरजू गिल ने बताया कि एक दिन में 500 किलो के करीब का कूड़ा पिट्स में पहुंच रहा है। जिसमे से 250 किलो वेस्ट पशुओं को दे दिया जाता है। वेस्ट को सुखाने मे 60 दिन का समय लग जाता है। तब जाकर खाद तैयार होती है।
अगर मशीनें हो तो ये प्रोसेस 40 दिन का रह जाए। पिट्स पर काफी दिक्कत परेशानी है। जिसके बारे में कई बार उच्च अधिकारियों को बोल चुके हैं। अब खाद बनने लग गई तो अफसर तो आते हैं। लेकिन उनकी समस्या का हल नही निकाला जा रहा।
न बिजली न पानी और न ही शौचालय सही
पिट्स कंपोस्ट में बिजली पानी व शौचालय की व्यवस्था भी सही नहीं है। समबर्सिबल की मोटर चोरी हो चुकी है और यहां तक की पिट्स के ऊपर जो बल्ब लगे हुए थे और बिजली के बोर्ड वह भी चोरों ने चुरा लिए। दीवारें ऊंची न होने के कारण चोरों ने अंदर पड़ी कूड़ा उठाने वाली लोहे की रेहड़ियों का लोहा तक चुरा लिया है। लेकिन निगम अधिकारी ये राग अलाप रहे हैं कि दकोहा वाला पिट्स काफी बढ़िया है और काम भी बढ़िया चल रहा है। लेकिन हालात कुछ और ही ब्यां हो रहे हैं।
शहर में 24 स्थाई तो 150 जीवी पॉइंट पर फेंका जाता है कूड़ा
पूरे शहर में हर रोज 10 टन से अधिक कूड़ा वरियाणा डंप पर भेजा जा रहा है। निगम की तरफ से शहर में 24 स्थाई डंप तैयार किए गए हैं। इसी के साथ अवैध डंप 150 के करीब हैं। जिन्हें जीवी पॉइंट का नाम दिया गया है। वहीं सरजू और सोनिया ने कहा कि गर्मियों में सबसे ज्यादा दिक्कत पिट्स में होती है। उनकी मांग है कि जल्द ही मशीनरी, बिजली और पानी की व्यवस्था की जाए। इसी के साथ पूरे पिट्स की दीवारों पर फैंसिग की जाए ताकि सामान चोरी न हो सके।
कई बार बता चुके हैं उच्च अधिकारियों को
CF सरोज ने बताया कि दकोहा के पिट्स कंपोस्ट में जो खाद तैयार हो रही है। उसे तैयार करने के लिए बड़ी जालियों की जरुरत है। कुछ कमियां हैं। जिसे दूर करने के लिए निगम के उच्च अधिकारियों को जानकारी कई बार दी जा चुकी है।
दकोहा प्लांट में चोरी की कोई जानकारी नहीं - हेल्थ ऑफिसर
जब इस बारे में निगम के स्वस्थीय अधिकारी डॉ. कृष्ण शर्मा से बात की गई तो उनका कहना है कि खाद बनाने का काम अभी बडिंग और दकोहा में हो रहा है। फोल्डीवाल में पिछले कुछ समय पहले इलाका निवासियों ने कूड़े के डंप का विरोध किया था। जिस कारण वहां पर काम बंद करना पड़ा।
लेकिन जल्दी ही सभी 4 प्लांटों में काम शुरू हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट का 70 लाख का टेंडर भी पास हो गया है। जिससे सभी प्लांटों में मशीनरी, स्टाफ, बिजली पानी की व्यवस्था इसके साथ ही सभी प्लांटों में चौकीदार को रखा जाएगा।
डॉ. कृष्ण ने आगे कहा कि दकोहा के प्लांट में चोरी हुई है। इसके बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। उन्होंने वहां के कर्मचारियों से इस बारे में लिखित में जवाब माँगा है। करीब 2 महीने में सभी प्लांटों में काम शुरू हो जाएगा।