जालंधर की नई वार्डबंदी को लेकर पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में चल रहे केस में इस बार फिर नगर निगम अधिकारी अधूरे दस्तावेजों के साथ पहुंचे। दावा किया जा रहा है कि जिसके लिए हाईकोर्ट ने लोकल बॉडीज विभाग के वकीलों को फटकार भी लगाई। उन्हें अगले एक-दो दिन में वार्डबंदी के संबंध में जरूरी दस्तेवाज जमा करवाने के आदेश दिए हैं। तब तक अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा है।
बुधवार को हुई केस की सुनवाई में हाईकोर्ट के सामने पक्ष-विपक्ष के वकीलों के बीच बहस हुई। दोनों ने अपनी दलीलें पेश कीं। अदालत ने लोकल बॉडीज के वकीलों से कुछ ऑब्जेक्शन्स पर दस्तावेज की मांग की है। उन्हें दो दिन का समय भी दे दिया गया है।
विपक्ष की तरफ से केस लड़ रहे पूर्व विधायक राजिंदर बेरी का कहना है कि अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा है। लोगों के हित में अदालत अपना फैसला सुना सकती है। बता दें कि इसी कारण नगर निगम के चुनाव नहीं हो पा रहे हैं। पुराने निगम को भंग हुए करीब दो साल होने जा रहे हैं। ऐसे में जल्द फैसला आने के बाद चुनाव की आस की जा रही है।
जालंधर, फगवाड़ा व बाबा बकाला की पटीशनें की क्लब
हाईकोर्ट ने जालंधर की नई वार्डबंदी के साथ-साथ फगवाड़ा व बाबा बकाला के निगमों के लेकर चल रहे अलग-अलग केसों को क्लब करते हुए उनकी एक साथ सुनवाई की। सभी केसों में वार्डबंदी और वोटर लिस्टों को लेकर सरकार के खिलाफ अपील की गई है। एक साथ इन सभी केसों का निपटारा इसी महीने होने की उम्मीद है।
8 ऑब्जेक्शन के दस्तावेज पेश नहीं कर पा रहा लोकल बॉडीज विभाग
हाईकोर्ट ने बुधवार को सुनवाई के दौरान लोकल बॉडीज के वकीलों से 7-8 ऑब्जेक्शन पर दस्तावेज मांगें थे। लेकिन लोकल बॉडीज के वकील कोई भी दस्तावेज जमा नहीं करवा पाए हैं। इसलिए अब उनको एक-दो दिन में यह दस्तावेज जमा करवाने होंगे। निगम के पास नई वार्डबंदी को लेकर कुल 119 तरह के एतराज आए थे। इनमें से कुछ एतराजों को निगम ने दूर कर दिया था, लेकिन अभी कई बड़े एतराज दूर नहीं किए गए हैं। जिसकी वजह से वार्डबंदी पर कोई फैसला नहीं हो पा रहा है।
हमें जनता के हित में फैसला आने की उम्मीद - राजिंदर बेरी
सुनवाई के बाद मीडिया में बयान जारी करते हुए पूर्व विधायक राजिंदर बेरी ने कहा कि नई वार्डबंदी और हदबंदी को लेकर हाईकोर्ट जनता के हित में फैसला ले सकती है। उन्होंने बताया कि दोपहर बाद केस की सुनवाई हुई। जिसमें हाईकोर्ट के जजों के सामने दोनों पक्षों के वकीलों की बहस हुई।
अदालत ने लोकल बॉडीज विभाग के वकीलों से 7-8 ऑब्जेक्शन की लिस्ट मांगी थी, जो वह पेश नहीं कर पाए। उनकी तरफ से उनके वकील परमिंदर सिंह और ईश्वर सिंह ने बहस की। बेरी ने कहा कि हदबंदी और नई वार्डबंदी गैरकानूनी ढंग से की गई थी और बिल्कुल गलत है। इसके खिलाफ जल्द फैसला होने की उम्मीद है।
वार्डबंदी की खामियों के खिलाफ पूर्व विधायक गए अदालत
नई वार्डबंदी को लेकर एक दो नहीं बल्कि पूरे शहर से 119 एतराज आए थे। जिसमें सबसे ज्यादा एतराज कांग्रेस के पार्षदों की तरफ से थे। इन पार्षदों को लीड कर रहे पूर्व विधायक राजिंदर बेरी ने अदालत में पटीशन फाइल की। उन्होंने पटीशन में निगम अफसर व लोकल बॉडीज अधिकारियों पर नई वार्डबंदी को लेकर कई सवाल उठाए। इसे सरासर गैर कानूनी बताया था। उनको एतराज है कि जो नए वार्ड बनाए गए हैं, उनमें रिजर्वेशन रोस्टर का ख्याल नहीं रखा गया है। जिन वार्डों में अनुसूचित जाति के लोगों की जनसंख्या ज्यादा है, उन्हें जनरल में डाल दिया गया है। कुछ वार्डों को छोटा किया गया है। जिनमें अनुसूचित जाति की जनसंख्या कम है, उन्हें रिजर्व कर दिया गया है।
डिलिमिटेशन बोर्ड की बैठक में नहीं बुलाए सदस्य
याचिकाकर्ताओं ने कहा है कि नई वार्डबंदी को लेकर जो डिलिमिटेशन बोर्ड गठित किया गया था। जिसमें 5 एसोसिएट सदस्य बनाए गए थे। हैरानी की बात है कि इन एसोसिएट सदस्यों को डिलिमिटेशन बोर्ड की किसी भी बैठक में बुलाया ही नहीं गया। उनको बोर्ड से अपनी मर्जी से हटा भी दिया गया। जिसके लिए कोई नोटिफिकेशन भी जारी नहीं किया।