खबरिस्तान नेटवर्क: देश में कोरोना वायरस के मामले तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। आज एक्टिव केसों की संख्या 1360 है और मौतों की संख्या 14 हो चुकी है और इनमें से सबसे ज्यादा मौतें महाराष्ट्र में हुई हैं। वहीं इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) कानपुर के डायरेक्टर प्रोफेसर मणींद्र अग्रवाल ने कहा कि 2022 के बाद नए वैरिएंट के कारण कोविड मरीज कई बार बढ़े हैं लेकिन कोई गंभीर स्थिति नहीं दिखी। मेरा अंदाजा है कि इस बार भी बहुत परेशान होने की जरुरत नहीं है।
दूसरी लहर नहीं होगी जानलेवा
बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे के अनुसार, कोविड की चौथी लहर आएगी तो इसका असर 21 से 28 दिन तक रहेगी। यह दूसरी लहर की तरह जानलेवा नहीं होगी। एक्सपर्ट बोले- नए वैरिएंट पर वैक्सीन का असर नहीं। प्रोफेसर ज्ञानेश्वर चौबे का कहना है कि जिन लोगों ने वैक्सीनेशन करवाया था, उन्हें भी सावधानी बरतने की जरूर है। इसका कारण है कि वैक्सीनेशन नए वैरिएंट का असर होने से नहीं रोक सकता हालांकि, वैक्सीनेशन की इम्यूनिटी अभी भी पूरी तरह से कमजोर नहीं हुई। यह आपके शरीर को नए वैरिएंट से लड़ने में मदद जरूर करेगी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी माना नया वैरिएंट नहीं है खतरनाक
आईसीएमआर के डॉयरेक्टर डॉ. राजीव बहल ने कहा कि दक्षिण और पश्चिम भारत से जिन वैरिएंट की सीक्वेंसिंग की गई है वे LF.7, XFG , JN.1 और NB.1.8.1 सीरीज के हैं। बाकी जगहों से नमूने लेकर सीक्वेंसिंग की जा रही है, ताकि नए वैरिएंट की जांच की जा सके। मामले बहुत गंभीर नहीं हैं और लोगों को चिंता नहीं करनी चाहिए बस थोड़ा सतर्क रहना चाहिए। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) ने भी इन्हें चिंताजनक नहीं माना है हालांकि, निगरानी में रखे गए वैरिएंट के रूप में कैटेगराइज किया है। चीन सहित एशिया के दूसरे देशों में कोविड के बढ़ते मामलों में यही वैरिएंट दिख रहा है। NB.1.8.1 के A435S, V445H, और T478I जैसे स्पाइक प्रोटीन म्यूटेशन अन्य वैरिएंट की तुलना में तेजी से फैलते हैं। इन पर कोविड के खिलाफ बनी इम्यूनिटी का भी असर नहीं होता।
भारत में यह वैरिएंट है आम
भारत में कोविड का JN.1 वैरिएंट सबसे आम है। टेस्टिंग में आधे से ज्यादा सैंपल में यह वैरिएंट मिला है। इसके बाद BA.2 (26%) और ओमिक्रॉन सबलाइनेज (20 प्रतिशत) वैरिएंट के मामले भी मिलते हैं। JN.1 वैरिएंट इम्यूनिटी कमजोर करता है JN.1, ओमिक्रॉन के BA2.86 का एक स्ट्रेन है। इसे अगस्त 2023 में पहली बार देखा गया था। दिसंबर 2023 में WHO ने इसे 'वैरिएंट ऑफ इंटरेस्ट' घोषित किया। इसमें करीब 30 म्यूटेशन्स हैं, जो इम्यूनिटी कमजोर करते हैं। अमेरिका के जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के अनुसार JN.1 अन्य वैरिएंट की तुलना में ज्यादा आसानी से फैलता है, लेकिन यह बहुत गंभीर नहीं है। दुनिया के कई हिस्सों में यह सबसे आम वैरिएंट बना हुआ है। JN.1 वैरिएंट के लक्षण कुछ दिनों से लेकर हफ्तों तक रह सकते हैं। अगर आपके लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो हो सकता है कि आपको लंबे समय तक रहने वाला कोविड हो। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें COVID-19 के कुछ लक्षण ठीक होने के बाद भी बने रहते हैं।