मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में कफ सिरप पीने से पिछले 20 दिनों में 7 मासूमों की मौत हो चुकी है। बताया जा रहा है कि इन बच्चों की मौत किडनी फेल होने से हुई। ज्यादातर बच्चों ने नागपुर के निजी अस्पतालों में दम तोड़ा। कलेक्टर शीलेंद्र सिंह ने कहा कि प्रारंभिक जांच रिपोर्ट में दूषित कफ सिरप से बच्चों की किडनियां फेल होने की बात सामने आई है। फिलहाल जिले में संबंधित कफ सिरप की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और मामले की जांच जारी है।
छिंदवाड़ा के सीएमएचओ डॉ. नरेश गुन्नाडे ने जानकारी दी कि पहला संदिग्ध मामला 24 अगस्त को सामने आया था। 4 से 26 सितंबर के बीच परासिया क्षेत्र में 6 बच्चों की मौत हुई। वहीं, 5 बच्चे अभी भी छिंदवाड़ा और नागपुर के अस्पतालों में भर्ती हैं। 27 सितंबर को बच्चों के सैंपल पुणे लैब भेजे गए हैं। असली वजह रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट होगी। जिस कफ सिरप के सैंपल लिए गए हैं, उसमें डायएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) मिला है।
क्या है डायएथिलीन ग्लाइकोल (डीईजी) ?
डीईजी एक औद्योगिक सॉल्वेंट है। इसका उपयोग पेंट, वार्निश, ब्रेक फ्लुइड और अन्य इंडस्ट्रियल प्रोडक्ट्स में किया जाता है। जब यह शरीर में जाता है, तो डाइग्लाइकोलिक एसिड (डीजीए) में बदलकर किडनी और नसों को गंभीर नुकसान पहुंचाता है। बच्चों में यह जहर की तरह असर करता है और किडनी फेल होने तक की स्थिति ला सकता है।
डीईजी सिरप को पतला करता है। इसमें मीठापन व ठंडक होती है, जिससे बच्चे दवा आसानी से पी लेते हैं। यह ग्लिसरीन या प्रोपाइलीन ग्लाइकोल से बेहद सस्ता है, इसलिए कंपनियां सिरप की मात्रा बढ़ाने व लागत घटाने के लिए इसका उपयोग करती हैं, जबकि दवाओं में डीईजी का इस्तेमाल कानूनी रूप से प्रतिबंधित है।
जान गंवाने वाले मासूमों की सूची
दिव्यांश चंद्रवंशी (7 वर्ष) – डुड्डी
अदनान खान (5 वर्ष) – न्यूटन चिखली
हेतांश सोनी (5 वर्ष) – उमरेठ
उसैद (4 वर्ष) – परासिया
श्रेया यादव (18 माह) – परासिया
विकास यदुवंशी (4 वर्ष) – दीघावानी
योगिता विश्वकर्मा (5 वर्ष) – बोरिया