खबरिस्तान नेटवर्क : WHO ने मलेरिया के दूसरे टीके R21/Matrix-M को मंजूरी दे दी है। इस फैसले से देशों को मलेरिया के पहले टीके से अधिक सस्ता और प्रभावी विकल्प उपलब्ध हो सकता है। वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन के महानिदेशक टेड्रस अधानम घेब्रेयेसस ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी ने दो विशेषज्ञ समूहों की सलाह पर नये मलेरिया टीके को मंजूरी दे रही है। विशेषज्ञ समूहों ने मलेरिया के जोखिम वाले बच्चों में इसके इस्तेमाल की सिफारिश की। ये दवाई 75 प्रतिशत की हाई प्रभावकारिता के साथ आ रही है। ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय और सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के बीच एक सहयोगात्मक प्रयास के माध्यम से विकसित इस वैक्सीन का उद्देश्य इस घातक बीमारी के जोखिम वाले कमजोर बच्चों की रक्षा करना है। डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक, टेड्रोस एडनोम घेब्येयियस ने जिनेवा में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इस खबर की पुष्टि की है।
टीके की कीमत $2 से $4 तक होगी
रॉयटर्स के हवाले से उन्होंने कहा कि आज, मुझे यह घोषणा करते हुए बहुत खुशी हो रही है कि डब्ल्यूएचओ इस बीमारी के जोखिम वाले बच्चों में मलेरिया को रोकने के लिए आर21/मैट्रिक्स-एम नामक दूसरे टीका ला रहा है। R21/मैट्रिक्स-एम वैक्सीन 2024 तक प्रशासन के लिए उपलब्ध होगी। उन्होंने घोषणा की है कि इसकी एक खुराक की कीमत लगभग 2 डॉलर से 4 डॉलर होगी और यह अगले साल कुछ देशों में उपलब्ध हो सकता। डब्ल्यूएचओ प्रीक्वालिफिकेशन के लिए वैक्सीन का मूल्यांकन करेगा, इसकी मंजूरी की मोहर सुनिश्चित करेगा। साथ ही जीएवीआई और यूनिसेफ जैसे वैश्विक संगठनों को निर्माताओं से वैक्सीन खरीदने में सक्षम बनाएगा।
बच्चों में मलेरिया रोकेगा ये नया टीका
सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने इस निर्णय का समर्थन करने वाले व्यापक शोध और परीक्षणों पर प्रकाश डाला है। डब्ल्यूएचओ का रिकमेंडेशन प्री-क्लिनिकल और क्लिनिकल परीक्षण डेटा पर आधारित है, जिसने चार देशों में मौसमी और बारहमासी मलेरिया संचरण वाले स्थानों पर अच्छी सुरक्षा और हाई प्रभाव दिखाई हैं। इससे यह बच्चों में मलेरिया को रोकने के लिए दुनिया का दूसरा डब्ल्यूएचओ-अनुशंसित टीका बन गया।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के जेनर इंस्टीट्यूट में वरिष्ठ इम्यूनोलॉजिस्ट डॉ. लिसा स्टॉकडेल ने कहा कि न केवल यह स्थापित करने के लिए कि टीका काम करता है, बल्कि यह कैसे काम करता है इसके बारे में और अधिक समझने व उस ज्ञान को भविष्य के टीकों पर लागू करने के लिए काम करना महत्वपूर्ण है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला ने वैश्विक आबादी के लिए मलेरिया के लंबे समय से बने खतरे को स्वीकार करते हुए कहा कि बहुत लंबे समय से, मलेरिया ने दुनिया भर में अरबों लोगों के जीवन को खतरे में डाल दिया है। कई लोग हमारे बीच असुरक्षित हैं।
दुनिया को मलेरिया का पहला टीका दो साल पहले मिला था
WHO ने 2021 में मलेरिया के पहले टीके RTS,S/AS01 को मंजूरी दी थी। WHO के डायरेक्टर जनरल डॉ. टेड्रोस एडनोम घेब्येयियस ने कहा- हमने 2 साल पहले मलेरिया की पहली वैक्सीन को मंजूरी दी थी। अब हमारा फोकस दुनियाभर में मलेरिया वैक्सीन बनाने के लिए फंडिंग के इंतजामों पर होगा, ताकि यह टीका हर जरूरतमंद देश तक पहुंच सके। इसके बाद संबंधित देशों की सरकारें तय करेंगी कि वे मलेरिया को कंट्रोल करने के उपायों में वैक्सीन को शामिल करती हैं या नहीं।
वैक्सीन से रोक सकते हैं हर 10 में से 4 मामले
WHO के डायरेक्टर जनरल घेब्येयियस ने कहा- RTS,S/AS01 और R21 में ज्यादा फर्क नहीं है। हम ये नहीं कह सकते कि दोनों में से कौन सी ज्यादा असरदार होगी। दोनों ही इफेक्टिव हैं। यह वैक्सीन प्लाज्मोडियम फैल्सिपेरम को बेअसर कर देती है। प्लाज्मोडियम फैल्सिपेरम मलेरिया फैलाने वाले 5 पैरासाइट्स में से एक है और सबसे खतरनाक होता है। WHO के मुताबिक वैक्सीन से मलेरिया के हर 10 में से 4 मामले रोके जा सकते हैं और गंभीर मामलों में 10 में से 3 लोग बचाए जा सकते हैं।