गर्मी के मौसम में मच्छर इतने हो जाते हैं कि कहीं से भी आ कर काट लेते हैं। ऐसे में उनके काटने पर कई बार जख्म भी जाते हैं। ऐसा इसलिए क्यों कि मच्छर के काटने पर खुजली होती है तो वहां लाल हो जाता है और जख्म बनने का कारण बनता है। वहीँ बता दें साल 2021 में दुनियाभर में मलेरिया के करीब 25 करोड़ लोग इससे बीमार हुए थे। 5 करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत भी मच्छर के काटने से हुई थी। इन आंकड़ों से अंदाजा लगाया जा सकता है कि मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी मलेरिया कितनी खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे में इसके बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए 25 अप्रैल को विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है।
चिंता का विषय है
मलेरिया की रोकथाम करना काफी आसान है, लेकिन फिर भी इस बीमारी से करोड़ों लोग इसकी चपेट में आ जाते हैं। भारत में भी हर साल मलेरिया के मामले देखने को है, हालांकि बीते कुछ सालों से केस में कमी देखी गयी है। लेकिन आज भी यह बीमारी बारिश के मौसम और तेज गर्मी में खतरनाक बन कर सामने आ आती है।
सबसे चिंता की बात यह है कि लोग इसके लक्षणों की पहचान नहीं कर पाते हैं। बारिश और तेज गर्मी के मौसम में कई दूसरी बीमारियां भी पनपती हैं। ऐसे में मलेरिया और सर्दी या सामान्य वायरल के लक्षणों की पहचान करना मुश्किल हो जाता है। इस कारण ही मलेरिया के कई केस काफी देरी से पकड़ में आते हैं। कुछ मामलों में तो इस देरी की वजह से मरीज की मौत भी हो जाती है। ऐसे में सभी के लिए जानने की जरूरत है कि आपको सर्दी खांसी हुई है या मलेरिया हुआ है। इस बारे में और भी जानकारी आपको देते हैं।
मलेरिया बीमारी की पेचां कैसे करें
- एक्सपर्ट्स के मुताबिक मलेरिया की पहचान करने के लिए कुछ लक्षण सामान्य ही होते हैं
- तेज बुखार का आना
- हल्की-हल्की ठंड महसूस होना
- हर समय शरीर में थकावट का बने रहना
- उल्टी दस्त होना
- सांस लेने में परेशानी
- लगातार खांसी आने की समस्या रहना
जबकि, सामान्य सर्दी या वायरल बुखार में सांस लेने में परेशानी या फिर उल्टी -दस्त की शिकायत नहीं होती है। सामान्य फीवर में मांसपेशियों में दर्द या फिर हल्की ठंड भी नहीं लगती है।
आखिर इसके फैलने का कारण क्या है
- एक्सपर्ट्स के मुताबिक मलेरिया मच्छर के काटने से फैलता है, लेकिन इसके फैलने के कई दूसरे तरीके भी हैं
- अगर कोई गर्भवती महिला मलेरिया से संक्रमित है तो ये बीमारी उसके होने वाले बच्चे में भी फैल सकती है
- ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान भी संक्रमण फैलने का रिस्क बढ़ जाता है
हालांकि भारत में अब मलेरिया से पहले जैसा खतरा नहीं है, वहीँ इससे होने वाली मौतें और इसके मामलों में कमी देखी जा रही है। लेकिन फिर भी सावधानी बरतनी जरूरी है।
बीमारी का इलाज कैसे किया जाता है
एक्सपर्ट के उताबिक मलेरिया की वैक्सीन मौजूद है। हालांकि अभी वैक्सीन का यूज अफ्रीका के देशों के लोगों के लिए ही होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि अफ्रीकी देशों में मलेरिया के काफी केस मिलते हैं। मलेरिया की वैक्सीन लगने के बाद इस बीमारी से बचा जा सकता है। मलेरिया के इलाज की बात करें तो इसके लिए एंटी मलेरियल मेडिसिन आती है। ये दवाएं इस आधार पर दी जाती हैं कि शरीर में मलेरिया की बीमारी कौन से मलेरिया के पैरासाइट से हुई है और लक्षण किस तरह के हैं। अगर कोई महिला गर्भवती है तो अलग दवाएं दी जाती हैं।
इस बीमारी की पहचान
इसके लिए एक आसान टेस्ट होता है, इस टेस्ट के जरिये ब्लड में पैरासाइट का पता लगा कर उसकी रोकथाम के लिए मेडिसिन दी जाती है। है