स्वीडन सरकार ने दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मोबाइल फोन और टीवी पर पूरी तरह बैन लगा दिया है। जबकि 2 साल से ऊपर के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम की लिमिट सेट कर दी है। टेक्नोलॉजी बच्चों की एकेडमिक परफॉर्मेंस के साथ साथ उनकी सेहत बिगाड़ने का भी काम कर रही है।
जिसके चलते ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग (GEM) रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अगर आप मोबाइल फोन बच्चों के आसपास रखते हैं तो इससे उनका ध्यान भटकता है। इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है।
जानकारी के मुताबिक, चार में ऐसे एक देश ऐसा है, जहां स्कूलों में स्मार्टफोन पर बैन है। इस लिस्ट में अब स्वीडन का नाम भी जुड़ गया है। दरअसल, बच्चों के लिए मोबाइल फोन और टीवी का आकर्षण अब आम बात हो गई है।
ज्यादा स्क्रीन देखना सोशल स्किल कमजोर करता है
पेरेंट्स भी अपने काम के चक्कर में बच्चों को मोबाइल फोन देकर या टीवी के सामने बैठा देते हैं। लेकिन इसका बच्चों पर बहुत खराब असर पड़ता है। ज्यादा स्क्रीन टाइम आंखों की रोशनी, नींद की समस्याओं और मोटापे का कारण बन सकता है। स्क्रीन के सामने ज्यादा समय बिताने से बच्चों के सोशल स्किल कमजोर हो सकते हैं।
इन आयु वर्ग के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम लिमिट
सोशल मीडिया और विज्ञापनों के माध्यम से बच्चे अवास्तविक अपेक्षाएं (Unrealistic Expectations) पाल सकते हैं। स्वीडन सरकारी की ओर से जारी निर्देश अनुसार, दो साल से कम उम्र के बच्चे को पूरी तरह मोबाइल फोन, टीवी या किसी अन्य स्क्रीन से दूर रखना चाहिए। 2 से 5 वर्ष के बच्चों को 24 घंटे में ज्यादा से ज्यादा एक घंटा, जबकि 6 से 12 वर्ष के बच्चों को सिर्फ दो घंटे ही स्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 12 वर्ष से ज्यादा उम्र के बच्चों को भी दिनभर में सिर्फ 3 घंटे ही स्क्रीन टाइम की परमिशन देनी चाहिए।
बच्चों में दिखता है डिप्रेशन
स्वीडन सरकार का कहना है कि कई रिसर्च में पता चला है कि ज्यादा स्क्रीन टाइम की वजह से बच्चों में नींद की कमी और डिप्रेशन की शिकायत देखी जा रही है। डिप्रेशन बढ़ने से उनके स्वास्थ्य और फिजिकल फिटनेस पर भी बुरा असर पड़ता है। वो अपनी उम्र के हिसाब से कम एक्टिव हैं।