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Vivek Sharma : 800 से ज़्यादा लोगों को जिन्दा रहना और जिंदगी से प्यार करना सीखा चुके हैं कभी खुद जीना भूल चुके विवेक शर्मा


Vivek Sharma : 800 से ज़्यादा लोगों को जिन्दा रहना और जिंदगी
3/18/2024 4:46:22 PM         Raj        Vivek Sharma, अच्छी ख़बरें,changemaker,hindi news,Mental Health,mental health advocate,mental health care,positive news,vivek sharma             

Vivek taught 800 people to live again : अपने इकलौते बेटे को खोने के बाद कभी खुद जीने की चाह खो चुके विवेक शर्मा आज अपने प्रयासों से 800 से ज़्यादा लोगों को जिन्दा रहना और जिंदगी से प्यार करना सीखा चुके हैं। जीवन का मतलब हराना और रुकना जरूर हो सकता है लेकिन मरना कभी नहीं। मुंबई के विवेक शर्मा लोगों को जीवन का यह जरूरी सबक सीखा रहे हैं। इस काम को करने की प्रेरणा उन्हें अपने जीवन के अनुभवों से मिली थी। इसके साथ ही वह अपने पॉडकास्ट और किताबें के ज़रिए भी जरूरतमंद लोगों तक पहुंच रहे हैं। आज उनका पॉडकास्ट 15 लाख लोगों तक पहुंच चुका हैं। हताश लोगों को अंधरे से रौशनी की तरफ ले जाना ही विवेक के जीवन का लक्ष्य बन चुका है। 

खुदकुशी की कोशिश भी की थी

साल 2014 में अपने इकलौते बेटे को खोने के बाद विवेक और उनकी पत्नी के लिए भी मानो दुनिया ख़त्म ही हो गई थी। उस मुश्किल दौर में उनका मानसिक तनाव इतना बढ़ गया था कि उन्होंने कई बार खुदकुशी की कोशिश भी की थी। 

दोनों के लिए इतना आसान नहीं था

विवेक ने बताया कि परिवार और दोस्तों को भी समझ नहीं आ रहा था कि कैसे उनकी मदद करें? लोग उन्हें आगे बढ़ने, खुश रहने और सब कुछ भूल जाने को कहते थे। लेकिन यह सब कुछ उन दोनों के लिए इतना आसान नहीं था।  

नौकरी छोड़ने का फैसला किया

विवेक उस दौरान मुंबई में एक अच्छी खासी कॉर्पोरेट नौकरी कर रहे थे। लेकिन जब भी वह काम पर जाते, उन्हें अपनी पत्नी की चिंता लगी रहती। अपने बेटे को खोने के बाद वह अपनी पत्नी की खोना नहीं चाहते थे इसलिए उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया। 

शांति के लिए बाँट रहें औरो का दर्द 

विवेक और उनकी पत्नी को कुछ भी करने से मन की शांति नहीं मिल पा रही थी। ऐसे में विवेक ने उन लोगों से जुड़ने का फैसला किया जो कही न कही उनकी तरह ही परेशान थे। विवेक बताते हैं कि जब दुखों को भूलकर दूसरों से मिलना शुरू किया तब पता चला कि उन्हीं की तरह कई लोग हैं जो जीवन से हताश हो चुके हैं। 

‘Mickey-Amogh’ की शुरुआत 

समय के साथ उन्होंने दूसरों की तकलीफों को दूर करने को ही अपने जीवन का मकसद बना दिया। इसी काम के लिए उन्होंने अपने बेटे के नाम पर ‘Mickey-Amogh’ नाम से एक NGO की शुरुआत की। उनकी संस्था के ज़रिए उन्होंने कैंसर और डिप्रेशन से लड़ रहे लोगों की मदद करना शुरू किया। विवेक पूरी कोशिश करते हैं कि जितना हो सके उतना लोगों की मदद करें। 

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