खबरिस्तान नेटवर्क। फिजिकल हेल्थ की तरह मेंटल हेल्थ भी हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो बढ़ते वर्क प्रेशर के कारण खराब हो रहा है। मेंटल हेल्थ खराब होने के मामले अक्सर देखने में आते हैं। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। आमतौर पर काम या फिर किसी और बात का दवाब खराब मेंटल हेल्थ की वजह बन सकता है। कई बार कुछ मामलों में स्थिति गंभीर भी हो जाती है। मेंटल हेल्थ को दुरुस्त रखने के लिए अच्छे लाइफस्टाइल से लेकर काउंसलिंग और कई तरह के मेडिकल ट्रीटमेंट भी किए जाते हैं। इको थेरेपी का नाम भले ही आपने ज्यादा न सुना हो लेकिन मेंटल हेल्थ में सुधार लाने के लिए ये एक बेहतरीन तरीका है।
इको थेरेपी की एक पूरी सीरीज होती है, जिसमें अलग-अलग एक्टिविटीज करवाई जाती हैं। अगर किसी को हल्के स्ट्रेस की प्रॉब्लम है तो बिना दवाइयों का इस्तेमाल किए इस थेरेपी द्वारा मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा दिया जा सकता है और डिप्रेशन जैसी गंभीर स्थिति से बचा जा सकता है. तो चलिए जानते हैं इसके बारे में -
क्या है इको थेरेपी
अक्सर जब किसी को एग्जाइटी या फिर स्ट्रेस और डिप्रेशन जैसी कोई मानसिक समस्या होती है तो हवा पानी बदलने की सलाह दी जाती है। एक तरह से इको थेरेपी इसी बेस पर आधारित है। दरअसल इसकी सीरीज में बागवानी, प्रकृति के बीच ध्यान लगाना, समय बिताना, पहाड़ों और जंगलों में ट्रैकिंग करना जैसी गतिविधियां शामिल होती हैं। इसी वजह से इसे ग्रीन एक्सरसाइज, ग्रीन केयर, ग्रीन थेरेपी, हॉर्टिकल्चर थेरेपी जैसे अलग-अलग नामों से भी जानते हैं।
कैसे काम करती है ये थेरेपी
कई बार भागदौड़ भरी जिंदगी से जब मन पूरी तरह से ऊब जाता है तो इंसान को ब्रेक लेने की जरूरत होती है। वहीं इको थेरेपी आपको प्रकृति के करीब जाने का मौका देती है। इसमें एनिमल थेरेपी में जीवों के पास रहकर उनकी गतिविधियों के महसूस किया जा सकता है। इसके अलावा एडवेंचर में प्राकृतिक जगहों पर नॉर्मल वॉकिंग से लेकर रॉक क्लाइंबिंग, राफ्टिंग जैसी एक्टिविटी शामिल होती हैं। इससे शरीर में हैप्पी हार्मोन्स का स्त्राव होता है और भीतर से खुशी महसूस होती है. जो मानसिक बीमारियों से लड़ने में कारगर है।
दरअसल इस थेरेपी के बारे में जानकर लगेगा कि इसे तो खुद ही किया जा सकता है, लेकिन इको थेरेपी की एक्टिविटी एक्सपर्ट की देखरेख में की जाती हैं और हर पहलू पर गौर किया जाता है।