जब हमारे शरीर में किसी प्रकार की चोट लगती है तो हम परेशान हो जाते हैं और फिर उसका ट्रीटमेंट लेते हैं। लेकिन यदि हम मानसिक तौर पर बीमार हैं तो हम उसको हलके में लेते हैं यानि कि हम हमारी मेंटल हेल्थ को पूरी तरह से इग्नोर कर देते है। जो धीरे धीरे डिप्रेशन का रूप ले लेती है।
आज के समय की बात करें तो डिप्रेशन बहुत ही आम बीमारी बनती जा रही है। हर उम्र के लोग इससे ग्रस्त हो रहे हैं। ये बात Psychiatrist डॉक्टर दीपिंदर कौर ने मीटिंग में कही। दरअसल आज डिप्रेशन पर बात करने के लिए नीमा विमेंस फोरम की तरफ से मंथली मीटिंग का आयोजन स्थानीय होटल में किया गया।
मीटिंग की शुरुआत डॉक्टर दीपिंदर कौर को नीमा विमेंस फोरम की प्रेसिडेंट डॉक्टर सुगंधा भाटिया की तरफ से फूल भेंट करके की गयी।
पुरूषों में डिप्रेशन के लक्षण अलग
डॉक्टर दीपिंदर कौर में बताया कि पुरुषों में डिप्रेशन के काफी अलग कारण और लक्षण होते हैं। चूँकि समाज में ये बात बनी हुई है कि पुरूष रो नहीं सकता है। इसी कारण से पुरूष अपनी भावनाओं और परेशानी को किसी से शेयर नहीं करता है और वो धीरे धीरे डिप्रेशन का शिकार हो जाता है।
ऐसे में बहुत जरूरी है की पुरुषों को अपने मन की बात को शेयर करना चाहिए और उनके फॅमिली मेम्बेर्स को उन्हें समझने की जरुरत है।
पोस्टपार्टम डिप्रेशन महिलाओं पर काफी असर डालता है
डॉक्टर दीपिंदर कौर ने बताया कि डिलीवरी के बाद अक्सर महिलाएं डिप्रेशन का शिकार हो जाती है। ऐसे में जरूरी है कि वे खुद से ही इस समस्या से निपटने के लिए कोशिश करें। वर्ना इसका गलत असर नवजात बच्चे पर पड़ सकता है।
ऐसा इसलिए क्योंकि ज्यादातर महिलाओं को आफ्टर डिलीवरी बच्चे की देखरेख में काफी टाइम निकल जाता है। वे खुद के लिए समय नहीं निकाल पाती है। इससे बचने के लिए जरूरी है जरूरी है कि वे बच्चे के साथ साथ खुद का भी रूटीन बनाएं।
इस मीटिंग में नीमा विमेंस फोरम की डॉक्टर रेनू, डॉक्टर दिव्या गुप्ता, डॉक्टर हरप्रीत कौर ,डॉक्टर अश्म सहगल , डॉक्टर कमलजीत कौर, डॉक्टर ऋतु बजाज, डॉक्टर सीमा बंसल, डॉक्टर अनुपमा सूद , डॉक्टर नरिंदर, डॉक्टर दिनेश जग्गी, डॉक्टर हरविंदर सिंह , डॉक्टर रेनू बाला और डॉक्टर रेनू महाजन शामिल थे।