ख़बरिस्तान नेटवर्क : मानसून के कारण पंजाब के बहुत सारे इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है। किसानों की हजारों एकड़ फसल तबाह हो गई है। लेकिन पंजाब सरकार बाढ़ प्रबंधन करने और किसानों की सुध लेने में बुरी तरह फेल साबित हुई है। यह आरोप ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के सचिव और विधायक परगट सिंह ने पंजाब सरकार पर लगाए हैं। उन्होंने मांग की है कि इस मामले में पंजाब विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर पंजाब बाढ़ प्रबंधन अधिनियम पारित किया जाए।
फोटो खिंचवाने के बदले फसलों का मुआवजा दें
उन्होंने कहा कि सीएम मान और उनके नेतृत्व वाली पंजाब सरकार से किसानों की बर्बाद हुई फसलों की गिरदावरी करवाकर जल्द से जल्द पर मुआवजा देने की घोषणा करे। सरकार फोटो खिंचवाने को पहल देने की बजाए 2023 की बाढ़ से सबक लेते हुए ढांचागत सुधार के लिए काम करना चाहिए, ताकि फिर से पंजाब में 1988 और 1992 वाले हालात पैदा न हों।
सरकार की लापरवाही के कारण हालात बेकाबू
परगट सिंह ने कहा कि कपूरथला, मुकेरियां, सुल्तानपुर लोधी, तरनतारन, पठानकोट, फाजिल्का और अन्य इलाकों में हालात बेकाबू हैं। यह हालात सिर्फ़ मौसम के कारण ही नहीं, बल्कि गंभीर प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। सरकार हालात खराब होने से पहले नहीं जागी तो पंजाब में किसानों और फसलों का नुकसान होना तय है। सरकार को तुरंत बाढ़ प्रबंधन के पुख्ता इंतजाम करने चाहिए।
बाधों की मरम्मत नहीं की गई
परगट सिंह ने बताया कि पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश और बांधों से अतिरिक्त पानी छोड़ा जाना हर साल की तय प्रक्रिया है, फिर भी सतलुज, ब्यास और रावी के किनारों पर तटबंधों की मरम्मत नहीं की गई, नालों की सफाई नहीं हुई और संवेदनशील स्थानों पर निगरानी नहीं रखी गई। यह अचानक आई बाढ़ नहीं है, बल्कि लापरवाही से बनी मानव-निर्मित आपदा है। ही कारण है कि आज कपूरथला और आसपास के इलाकों में ब्यास का पानी घुस गया है।
टांडा के गांव गंद्धुवाल, करतारपुर के गांव भैणी बहादुर और तलवंडी कूका में पानी खेतों और घरों में घुस गया। वहीं फाजिल्का सब डिवीजन में 14000 एकड़ कपास की फसल बर्बाद हो गई। किसानों को खाने के लाले पड़ रहे हैं और पशुओं को चारा नहीं मिलने से उनके मरने के हालात बने हुए हैं।
परगट सिंह ने मांग की है कि सभी प्रभावित गांवों में तुरंत राहत शिविर लगाए जाएं। किसानों, दुकानदारों और परिवारों को बिना देरी के मुआवज़ा दिया जाए। स्थायी बाढ़ रोकथाम और तटबंध मज़बूती योजना लागू हो। मुख्यमंत्री को एयर-कंडीशनर वाले उद्घाटनों से निकलकर पानी और कीचड़ में अपने लोगों के बीच खड़ा होना चाहिए। पंजाब को सोशल मीडिया पोस्ट नहीं, बल्कि राहत सामग्री, नावें और ऐसी सरकार चाहिए जो आपदा से पहले काम करे, बाद में नहीं।