खबरिस्तान नेटवर्क : जालंधर सेंट्रल से आम आदमी पार्टी के विधायक रमन अरोड़ा के बेटे राजन अरोड़ा की अग्रिम जमानत व एटीपी सुखदेव वशिष्ठ की जमानत पर कोर्ट 6 जून को फैसला सुनाएगा। बुधवार को अग्रिम जमान याचिका पर कोर्ट में सुनवाई हुई। विधायक रमन अरोड़ा के करप्शन मामले में बेटे राजन अरोड़ा और समधी राजू मदान को विजिलेंस तलाश रही है।
राजन अरोड़ा पर कलेक्शन करने के आरोप
आरोप है कि रमन अरोड़ा के करप्शन में बेटा राजन अरोड़ा भी शामिल था। राजन अरोड़ा अपने पिता के कहने पर रेहड़ियों से लेकर निगम के ठेकेदारों से कलेक्शन करता था। राजन अरोड़ा ऑफिस के कुछ कामकाज भी देखता था जिसके बाद सेटिंग के लिए निगम के अधिकारियों से मिलना और पिता के कहे अनुसार काम करवाना भी उसी का काम था।
दुबई भागने की चर्चाएं
चर्चा ये भी है कि राजन अरोड़ा दुबई भाग चुका है। हालांकि केस दर्ज होने के बार विजिलेंस ने राजन और राजू मदान का एलओसी जारी करवा दिया था। विजिलेंस को शक है कि वह दुबई के रास्ते में भागा है। राजन अरोड़ा भी अपने पिता का राजदार है।
अब तक चार गिरफ्तार
विधायक रमन अरोड़ा के इस मामले में अब तक चार गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। सबसे पहले एटीपी सुखदेव वशिष्ठ को विजिलेंस ने गिरफ्तार किया था। उसके बाद विजिलेंस ने रमन अरोड़ा के घर रेड की। अरोड़ा का रिमांड चल रहा था तो विजिलेंस ने इंस्पेक्टर हरप्रीत कौर को अरेस्ट किया। फिर विजिलेंस ने रमन अरोड़ा के साथी महेश मखीजा को गिरफ्तार किया था।
फिल्हाल ये चारों जेल में हैं। जालंधर सेंट्रल से आम आदमी पार्टी (AAP) के विधायक रमन अरोड़ा 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में चुने गए थे और वर्तमान में पंजाब विधानसभा के सदस्य हैं। सरकार ने सबसे पहले रमन अरोड़ा की सुरक्षा वापस ली थी।
वशिष्ट को किया था अरेस्ट
15 मई को विजिलेंस ने जालंधर नगर निगम के अधिकारी असिस्टेंट टाउन प्लानर (ATP) सुखदेव वशिष्ठ को 30 हजार रुपए रिश्वत मांगने के आरोप में गिरफ्तार किया था। आरोपी को लोगों की तरफ से मिल रही शिकायतों के बाद गिरफ्तार किया गया था।
विजिलेंस अधिकारी ने बताया था कि सुखदेव वशिष्ठ जानबूझकर अर्जियों को मंजूरियां देने में देरी करके लोगों से पैसे वसूल रहा था। जालंधर में इमारतों के 70 फीसदी नक्शे नगर निगम द्वारा पहले ही मंजूर किए जा चुके हैं, लेकिन उक्त सहायक नगर योजनाकार सुखदेव वशिष्ठ ने रिश्वत न मिलने तक कुछ अर्जियों पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
अधिकारी ने यह भी बताया कि उस पर आरोप हैं कि एक मामले को मंजूरी देने की प्रक्रिया के लिए उस व्यक्ति से 30,000 रुपये रिश्वत मांगी है। उक्त मुलजिम आवेदकों को डराने के लिए चैकिंग के दौरान इमारतों को सील करने आदि की धमकियां भी देता है और अक्सर कहता है कि उसे अपने तबादले की भी परवाह नहीं है।