आर्थिक तंगी से जुझ रहे पाकिस्तान को भारत सरकार की तरफ से एक झटका मिलता दिख रहा है। शाहपुर कंडी बांध बनकर तैयार होने के बाद रावी नदी के पानी को पाकिस्तान जाने से पूरी तरह रोक दिया गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक शाहपुर कंडी बैराज जम्मू-कश्मीर और पंजाब के बॉर्डर पर स्थित है। इस बैराज के बनने के बाद जम्मू-कश्मीर के लोगों को 1150 क्यूसेक पानी मिलने से फायदा होगा जो पाकिस्तान जाता था। जानकारी मुताबिक कठुआ और सांबा जिले में मौजूद 32 हजार हेक्टेयर जमीन की सिंचाई में इस पानी का इस्तेमाल किया जाएगा।
पहले रावी नदी का पानी बहकर पाकिस्तान जाता था
भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 में सिंधु जल संधि समझौता हुआ था। जिसके बाद रावी, सतलुज और ब्यास तीनों नदियों के पानी पर भारत का अधिकार था। वहीं सिंधु, झेल और चिनाब नदियों के पानी पर पाकिस्तान का हक है।
हालांकि बांध बनने से पहले रावी नदी का पानी बहकर पाकिस्तान जा रहा था। ऐसे में अब जब रावी नदी पर बांध बनने के बाद उसका पूरा पानी भारत का है और इसका इस्तेमाल भारत सिंचाई और बिजली बनाने में करेगा।
29 साल बाद काम हुआ पूरा
सिंचाई और हायडरो इलेक्ट्रिक पॉवर जनरेशन के लिए महत्वपूर्ण शाहपुर कंडी बैराज परियोजना को फिछले तीन दशकों में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। बता दें कि 29 साल बाद अब इसका काम पूरा हो गया है।
अब रावी नदी का पानी अपने पास रखने का अधिकार
शाहपुर कंडी बैराज बनने के बाद भारत के पास रावी नदी का पानी अपने पास रखने का अधिकार हो गया है। पहले ये पानी लखनपुर बांध से होते हुए पाकिस्तान की ओर बहता था लेकिन अब इस पानी का फायदा पंजाब और जम्मू-कश्मीर को मिलेगा।
1995 में रखी गई थी शाहपुर कंडी बैराज की नींव
इस परियोजना की नींव 1995 में पीवी नरसिम्हा राव ने रखी थी। इसके बाद पंजाब और जम्मू-कश्मीर सरकार के बीच कई विवाद होने की वजह से शाहपुर कंडी बैराज का काम रुक गया था। फिर 2014 में केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मुद्दे को प्रधानममंत्री नरेंद्र मोदी के सामने रखा। पीएम मोदी के हस्तक्षेप के बाद इन विवादों को सुलझाया गया और 2018 में इस बैराज का काम फिर से शुरू हुआ।