जम्मू कशमीर सरकार ने आनंद मैरिज एक्ट लागू कर दिया है। अब सिख समुदाय में मैरिज रजिस्ट्रेशन इस कानून के तहत होगी। देश में आनंद मैरिज एक्ट पहले से ही लागू है लेकिन अनुच्छेद 370 के कारण यह जम्मू-कश्मीर में लागू नहीं था।
बता दें कि सिख समुदाय की लंबे समय से चली आ रही मांग को पूरा करते हुए सरकार ने यह फैसला लिया है। 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय कानून लागू हो गए। इसके बाद सिख समुदाय मांग कर रहा था कि आनंद विवाह अधिनियम को जम्मू कश्मीर में भी लागू किया जाना चाहिए।
ले्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा ने जम्मू कश्मीर आनंद मैरिज रजिस्ट्रेशन एक्ट 2023 को लागू करने की मंजूरी दे दी है। इस संबंध में राज्य सरकार के कानून, न्याय एवं संसदीय कार्य विभाग ने आदेश भी जारी कर दिया है। आनंद मैरिज एक्ट के तहत सर्टिफिकेट जारी करने के लिए संबंधित तहसीलदार रजिस्ट्रार होंगे। विवाह के रजिस्ट्रेशन की तारीख से 15 दिनों के अंदर रजिस्ट्रार दोनों पक्षों को आनंद मैरिज के सर्टिफिकेट की दो कॉपिया फ्री में जारी करेंगे।
कैसे होता है आनंद विवाह
आनंद विवाह हिंदू विवाह से थोड़ा अलग है. हिंदू धर्म में शादी से पहले शुभ मुहूर्त, कुण्डली मिलान आदि किया जाता है। लेकिन, आनंद विवाह में ऐसा कुछ नहीं देखा जाता। सिख धर्म में विवाह को शुभ काम माना जाता है। जिसका मतलब है कि सुविधानुसार किसी भी दिन गुरुद्वारे में विवाह किया जा सकता है।
आनंद विवाह में केवल 4 फेरे होते हैं। जिसे लवाण, लावा या फेरे कहा जाता है. पहले फेरे में दूल्हा दुल्हन नाम जपते हुए सत्कर्म करने की सीख लेते हैं. दूसरे फेरे लेते वक्त ग्रंथी नए जोड़े को गुरु को पाने का रास्ता बताते हैं। तीसरे फेरे में जोड़े को गुरबाणी सिखाई जाती है और चौथे फेरे में मन की शांति और गुरु को पाने की अरदास की जाती है।
आनंद विवाह के पूरी रीति के वक्त अरदास चलती रहती है। जैसे फेरा खत्म होता है, नव विवाहित जोड़ा गुरु ग्रंथ साहिब और ग्रंथियों के सामने सिर झुकाता हैं। फिर प्रसाद बनाकर बांटा जाता है और शादी सम्पन्न हो जाती है।
क्या है आनंद मैरिज एक्ट
सिख धर्म में शादी करने के लिए मान्यता के अनुसार ‘आनंद’ की रस्म निभाई जाती है. इस रस्म को सिख धर्म के तीसरे गुरु, गुरु अमरदास जी ने शुरू किया गया था. गुरु अमरदास जी ने ही 40 छंद लंबी बानी आनंदु की रचना की थी. इसे धार्मिक महत्व के सभी अवसरों और विवाह समारोहों के दौरान गाया जाता है। आनंद मैरिज एक्ट को सरकार ने भी अलग कानून बनाकर मान्यता दी है।
ब्रिटिश काल में हुई शुरूआत
पहली बार आनंद मैरिज एक्ट को 1909 में ब्रिटिश काल में बनाया गया था। लेकिन उस वक्त किसी वजह से इस एक्ट को लागू नहीं किया जा सका। साल 2007 में जब सुप्रीम कोर्ट ने सभी धर्मों के लिए मैरिज रजिस्ट्रेशन अनिवार्य कर दिया तो सिख समुदाय ने भी आनंद मैरिज एक्ट को लागू करने की मांग उठाई। इससे पहले तक सिखों समुदाय के लोगों की शादियां हिंदू मैरिज एक्ट के तहत रजिस्टर की जाती थी।