देश-विदेश में मश्हूर बिजनेसमैन रतन टाटा भले ही दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनकी कड़ी मेहनत, सीख हम लोगों को कुछ सिखाकर गई है। आज पूरा भारत उन्हें याद कर रहा है। लोग उनके किस्से और कहानियों की चर्चा कर रहे हैं। उन्हीं में से एक हम एक आपको बताने जा रहे है। रतन को कुत्तों से बुहत लगाव था। उनके पास दो जर्मन शैफर्ड कुत्ते थे जिनका नाम टीटो और टैंगो था वो इनसे बेइंतहा प्यार करते थे।
यहां जानें पूरा कहानी
बीबीसी की रिपोर्ट में गिरीश कुबेर टाटा समूह पर चर्चित किताब ‘द टाटाज़ हाउ अ फ़ैमिली बिल्ट अ बिज़नेज़ एंड अ नेशन’ में लिखते हैं, ''जब वो टाटा संस के प्रमुख बने तो वो जेआरडी के कमरे में नहीं बैठे। उन्होंने अपने बैठने के लिए एक साधारण सा छोटा कमरा बनवाया। जब वो किसी जूनियर अफ़सर से बात कर रहे होते थे और उस दौरान कोई सीनियर अधिकारी आ जाए तो वो उसे इंतज़ार करने के लिए कहते थे। उनके पास दो जर्मन शैफ़र्ड कुत्ते होते थे ‘टीटो’ और ‘टैंगो’ जिन्हें वो बेइंतहा प्यार करते थे।
जब वो अपने दफ्तर बॉम्बे हाउस पहुंचते थे को सड़क के आवारा कुत्ते उन्हें घेर लेते थे और उनके साथ लिफ्ट तक जाते थे। इन कुत्तों को अक्सर बॉम्बे हाउस की लॉबी में टहलते देखा जाता था। जबकि वहां लोगों को एंट्री तभी दी जाती थी, जब वो स्टाफ के सदस्य हों या उनके पास मिलने की पूर्व अनुमति हो।
कुत्ते की बीमारी
जब रतन के पूर्व सहायक आर वैंकटरमणन से उनके बॉस से उनकी निकटता के बारे में पूछा गया तो उनका जवाब था, मिस्टर टाटा को बहुत कम लोग करीब से जानते हैं। हां दो हैं जो उनके बहुत करीब हैं, ‘टीटो’ और ‘टैंगो’, उनके जर्मन शैफ़र्ड कुत्ते। इनके अलावा कोई उनके आसपास भी नहीं आ सकता।
कुत्ते के बीमार होने पर नहीं पहुंचे थे समारोह में
मशहूर बिजनेसमैन और लेखक सुहेल सेठ भी एक किस्सा सुनाते हैं, 6 फ़रवरी, 2018 को ब्रिटेन के राजकुमार चार्ल्स को बकिंघम पैलेस में रतन टाटा को परोपकारिता के लिए ‘रौकफ़ेलर फ़ाउंडेशन लाइफ़टाइम अचीवमेंट’ पुरस्कार देना था। लेकिन समारोह से कुछ घंटे पहले रतन टाटा ने आयोजकों को सूचित किया कि वो वहां नहीं आ सकते क्योंकि उनका कुत्ता टीटो अचानक बीमार हो गया है। जब चार्ल्स को ये कहानी बताई गई तो उन्होंने कहा ये असली मर्द की पहचान है।