ख़बरिस्तान नेटवर्क : एक क्रूर युद्ध की छाया में, जहाँ शहर खंडहर बन चुके हैं और नागरिक अकल्पनीय आघात झेल रहे हैं, करुणा की एक शांत क्रांति जीवन बदल रही है। गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के नेतृत्व में आर्ट ऑफ लिविंग फ़ाउंडेशन यूक्रेन में पहुँचा है -हथियारों के साथ नहीं, बल्कि श्वास, उपचार और आशा के साथ।
जब यूक्रेनी सेना के अधिकारी पहली बार आर्ट ऑफ लिविंग के ट्रॉमा-राहत सत्रों में आए, तो दृश्य दिल दहला देने वाला था। एक आर्ट ऑफ लिविंग शिक्षक ने साझा किया, “उन्हें देखकर मेरा दिल टूट गया। उनके हाथ, पैर और पीठ घायल थे। उनकी आँखों में डर और देखकर मेरा मन भारी हो गया।
पर फिर, कुछ असाधारण घटित होने लगा। आर्ट ऑफ लिविंग की श्वास और ध्यान तकनीक सीखने के बाद इन्हीं अधिकारियों ने बताया कि वे “शांत, संतुलित और सुरक्षित” महसूस कर रहे हैं। युद्ध के दिखने वाले घाव-खालीपन, क्रोध और दुःख-धीरे-धीरे हल्के होने लगे।
इसका प्रभाव इतना गहरा था कि यूक्रेन की सैन्य नेतृत्व ने सार्वजनिक रूप से गुरुदेव के कार्य को मान्यता दी और सम्मानित किया। बटालियन कमांडर स्वयं गुरुदेव के सामने खड़े हुए और उन्हें मानद पुरस्कार भेंट किया। अपने सैनिकों की ओर से उन्होंने कहा:
“गुरुदेव! हम आपका धन्यवाद करते हैं उस ज्ञान और कार्यक्रमों के लिए जो हमारे जवानों को मिले। जब बम गिरे, हममें से कई लड़ने के लिए उठ खड़े हुए। लेकिन इस सिक्के के दूसरे पहलू की बात कोई नहीं करता — वह विशाल खालीपन, क्रोध और घृणा जिसमें हम 24 घंटे जीते हैं। आर्ट ऑफ लिविंग के कोर्स के बाद हमारे जीवन बदलने लगे। जिनके घाव इतने गंभीर थे कि उनका जीवन पहले जैसा नहीं बचा, वे भी अब भविष्य के लिए योजनाएँ बना रहे हैं। उनकी आँखों में फिर से जीवन लौट आया है।”
ऐसा प्रभाव आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा सिखाए गए नेतृत्व कार्यक्रमों का भी रहा, जिससे यूक्रेनी सैन्य नेताओं को अनुकूल नेतृत्व कौशल और अप्रत्याशित जोखिमभरी परिस्थितियों में रणनीतिक निर्णय लेने की क्षमता प्राप्त हुई। यूक्रेनी सेना ने इस सहयोग को “मिशनों की सफल पूर्णता और जीवन की रक्षा में एक महत्वपूर्ण कारक” बताया।
मोर्चे से आने वाली कहानियां दिल को झकझोरने वाली हैं। नतालिया, जो 2014 से यूक्रेनी सेना में एमपीज़ेड (नैतिक और मनोवैज्ञानिक सहायता) की भूमिका निभा रही हैं, ने बताया कि सैनिक लगातार ड्रोन हमलों के बीच 80 सेंटीमीटर के छोटे-से खाइयों में छिपे रहते हैं। उन्होंने एक सैनिक की कहानी साझा की, जो भय से जकड़ गया था, लेकिन आर्ट ऑफ लिविंग के कार्यक्रम में सिखाई गई एक सरल श्वास तकनीक- उज्जयी श्वास -को याद करके उसने युद्ध में जान बचाई।
वह कहता है कि वह अपनी पलकें भी नहीं हिला पा रहा था। फिर उसे उज्जयी श्वास याद आई। अब वह कहता है कि वह इसे लगातार करता है। उसका विश्वास है कि इस श्वास ने न केवल उसकी जान बचाई बल्कि वह अपनी सेना टुकड़ी के 4 अन्य लोगों की भी रक्षा कर सका।
2022 से आर्ट ऑफ लिविंग ने 8,000 से अधिक लोगों-सैनिकों, विस्थापित नागरिकों और कब्जे वाले क्षेत्रों के बच्चों-के लिए कार्यक्रम आयोजित किए हैं। आर्ट ऑफ लिविंग के स्वयंसेवक अपनी जान जोखिम में डालकर वहाँ उपचार ले जाते हैं जहाँ इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। एक प्रशिक्षक ने कहा, “उनका समर्थन करना, जिन्हें इस समय इसकी सबसे ज़्यादा आवश्यकता है, हमारे लिए गौरव की बात है।”
एक युद्ध जिसने इतना कुछ छीन लिया, उसमें गुरुदेव कुछ लौटा रहे हैं - अराजकता के बीच शांति, निराशा के स्थान पर आशा, और पुनर्निर्माण की आंतरिक शक्ति। जैसा कि गुरुदेव कहते हैं, “शांति का अर्थ संघर्ष की अनुपस्थिति नहीं, बल्कि करुणा की उपस्थिति है और यूक्रेन के इस सबसे अंधकारमय समय में, यही करुणा आगे का रास्ता रोशन कर रही है।