बैसाखी का पर्व कृषि की सुख-समृद्धि का पर्व है जिसे उत्तर भारत में विशेष तौर पर पंजाब और हरियाणा में हर साल 13 या 14 अप्रैल को मनाया जाता है। इस दिन किसान गेहूं, दलहन, तिलहन और गन्ने जैसी फसलों की तैयारी की खुशी में बैसाखी का उत्सव मनाते हैं।
हमारे किसान देश का दिल हैं
आर्ट ऑफ लिविंग हर उस किसान का अभिवादन करता है जो हमें भोजन और कपड़े उपलब्ध कराने के लिए खेतों में कड़ी मेहनत करते हैं। हमारे किसान, देश का दिल हैं। उनकी ख़ुशी और भलाई देश के स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए महत्वपूर्ण है।
हमारे देश में भोजन से पहले “अन्नदाता सुखी भव” कह कर उन सभी किसानों के लिए प्रार्थना करते हैं जो हमें भोजन प्रदान करते हैं। यह प्रार्थना किसान से लेकर, अन्न के विक्रेता और रसोइयें तक उन सभी के लिए की जाती है जो हमारी पूरी खाद्य श्रृंखला का हिस्सा हैं।
सिख नव वर्ष की शुरुआत है बैसाखी
बैसाखी सिख समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बैसाखी सिख नव वर्ष की शुरुआत का प्रतीक है, इसी दिन गुरु गोविंद सिंह जी द्वारा खालसा पंथ की स्थापना की गई थी।
हमारे प्रिय 10वें गुरु गोबिंद सिंह महाराज ने गाया है कि हम सभी को हर व्यक्ति के भीतर की दिव्यता को पहचानना चाहिए। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई भी किसी भी प्रकार के अन्याय से प्रभावित न हो। ऐसे समय में जब किसान संकट में हैं, हमें लोगों के दिल और दिमाग को आराम देने की जरूरत है। हमें सभी को एक साथ लाने और उन्हें आश्वासन देने की जरूरत है, जो केवल आंतरिक शक्ति और ज्ञान से ही आ सकता है।
सिख परम्परा में छिपा हुआ है ब्रह्म ज्ञान
सिख समुदाय में भक्ति और वीरता अंतर्निहित है। भक्ति, हमारे भीतर का सर्वश्रेष्ठ बाहर लाती है। भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि अपनी सर्वोत्तम क्षमता से अपना कर्म करो और बाकी परमात्मा पर छोड़ दो। सिख समुदाय भी यही कर रहा है।
वैदिक परंपरा में श्री आदि शंकराचार्य ने कहा कि हम नाम, रूप, जाति, कुल, गोत्र, परिवार और स्थिति से परे हैं। हम सभी एक ब्रह्म, एक दिव्यता का अंश हैं। हम वह निराकार ऊर्जा हैं जिससे यह सारा संसार बना है। सिख धर्म भी यही कहता है, ‘एक अमूर्त (अव्यक्त), अकालपुरुष (समय से परे), अदृश्यमान, अव्यक्त ब्रह्म है।’ सिख परंपरा में ब्रह्म ज्ञान छिपा हुआ है। सिख पंथ का यह दिव्य ज्ञान व्यक्ति को जाति, पंथ से परे देखने में मदद करता है।
सिख पंथ में सेवा के प्रति दृढ़ता, संसार के लिए एक उदाहरण
हम बचपन में जो बीज बोते हैं, वही जीवन में हमारे बड़े होने के साथ विकसित होता है। ‘सभी प्रकार की सीमाओं से परे देखना और सभी को एक साथ लाना’ सिख परंपरा में इस प्रकार का बीज हर घर में बोया गया है। सभी को हृदय से गले लगाने का यह भाव और सेवा के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता वास्तव में दुनिया के लिए एक उदाहरण है।
इस बैसाखी पर खालसा पंथ से लें प्रेरणा
आइए इस बैसाखी पर खालसा पंथ से प्रेरणा लें। दुनिया को साहस के साथ-साथ सेवा और बलिदान की भावना की भी जरूरत है और खालसा पंथ हमें यही सन्देश देता है। आइए इन मूल्यों को अपनाएं और अपने भीतर छिपी वीरता और शौर्यता को बाहर लायें।