बांग्लादेश में हिंदुओं और उनके धार्मिक स्थल पर हमले किए जा रहे हैं। इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। जिस कारण मोहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार पर लगातार सवाल उठ रहे हैं और उनकी निंदा हो रही है। अब ऑर्ट ऑफ लिविंग के गुरू श्री श्री रविशंकर ने कहा बांग्लादेश के पीएम पर कहा कि शांति के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस से ऐसी उम्मीद नहीं थी। वीडियो देखने के लिए क्लिक करें
संतों पर ऐसे एक्शन लेने से भय का माहौल बन जाएगा
श्री श्री रविशंकर ने बांग्लादेश के इस्कॉन नेता चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी को लेकर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि जिस देश में संतों पर इस तरह के एक्शन लिए जाएंगो तो वहां भय और तनाव का माहौल बन जाएगा। पड़ोसी देश के प्रधानमंत्री के लिए एक आध्यात्मिक नेता को गिरफ्तार करना अशोभनीय है।
चिन्मय सिर्फ अपने अधिकारों के लिए खड़े थे
उन्होंने आगे कहा कि चिन्मय हथियार नहीं ले रहे हैं, वह बंदूक नहीं ले रहे हैं, वह अपने लोगों की देखभाल कर रहे हैं। वह सिर्फ अधिकारों के लिए खड़े हैं और चाहते हैं कि सरकार ऐसा करे। वहां अल्पसंख्यकों पर जो अत्याचार हो रहे हैं, उन्हें सुनिए। धार्मिक पुजारियों को गिरफ्तार करने से न तो उनका भला होगा और न ही लोगों का, देश का भला होगा और न ही बांग्लादेश की छवि का भला होगा।
शांति का नोबेल पाने वाले से ऐसी उम्मीद नहीं थी
श्री श्री रविशंकर ने कहा कि हम प्रोफेसर मोहम्मद यूनुस से बहुत अधिक उम्मीद करते हैं जिन्हें लोगों में शांति और सुरक्षा लाने के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिला है और इसीलिए उन्हें वहां प्रधानमंत्री के रूप में रखा गया है। हम उनसे ऐसी कार्रवाई की उम्मीद नहीं करेंगे जो आगे समुदायों के बीच तनाव और भय और अधिक पैदा करेगी।
मंगलवार को किया गया था अरेस्ट
बताते चलें कि चिन्मय को 26 नवंबर मंगलवार सुबह 11 बजे चटगांव छठे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट के न्यायाधीश काजी शरीफुल इस्लाम के सामने पेश किया गया। उनके वकीलों ने जमानत याचिका दायर की, जिसे अदालत ने खारिज कर दिया और उन्हें जेल भेजने का आदेश दिया।
देशद्रोह का दर्ज किया गया है मामला
चटगांव मेट्रोपॉलिटन पुलिस (सीएमपी) के एडिशनल कमिश्नर काजी एमडी तारेक अजीज ने कहा कि चिन्मय को रात में सड़क के रास्ते से चटगांव लाया गया। उन पर पुलिस स्टेशन में देशद्रोह का मामला दर्ज है और उस मामले में उन्हें गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया था।