पंजाब-हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर किसानों को बैठे हुए 2 महीने के करीब हो गया है। किसानों ने शंभू रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक जाम कर दिया हैं। इस दौरान किसान और पुलिस के बीच धक्कामुक्की हुई, पर किसान बैरिकेडिंग तोड़कर रेलवे ट्रैक पर बैठ गए। किसानों ने बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं को 23 अप्रैल को चंडीगढ़ में खुली बहस की चुनौती भी दी है.
नवदीप समेत 3 किसानों की रिहाई मांग कर रहे
किसानों की रिहाई के लिए सरकार 16 अप्रैल तक का समय लिया था। किसान सरकार से युवा नेता नवदीप सिंह जलबेड़ा समेत 3 किसानों की रिहाई की मांग कर रहे हैं। जिसको लेकर किसानो की हरियाणा और पंजाब सरकार से मीटिंग हुई थी । सरकार ने रिहाई नहीं की तो वे ट्रैक पर उतर आए।
किसान नेता जगजीत डल्लेवाल ने कहा कि सरकार ने भरोसा देकर भी उन्हें रिहा नहीं किया। हमारा किसान साथी जेल में मरणव्रत पर बैठा है। जब तक सरकार उसे रिहा नहीं करती, हम ट्रैक खाली नहीं करेंगे। अगर सरकार अभी रिहा कर दे तो हम 10 मिनट में हट जाएंगे।
आंदोलन की अगवाई कर रहे किसान नेता सरवण सिंह पंधेर ने कहा कि हम रेल नहीं रोकना चाहते थे। मगर, हमें इसके लिए मजबूर करना सरकार का फेलियर है। सरकार ने 16 अप्रैल तक रिहाई का भरोसा देकर वादाखिलाफी की है। उन्होंने कहा कि रेल रोको आंदोलन अनिश्चितकाल के लिए रहेगा।
संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) और किसान-मजदूर मोर्चा की ओर से किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि जब तक हमारे साथी रिहा नहीं हो जाते, हम शंभू बॉर्डर पर रेल रोकेंगे। अगर अब भी रिहाई नहीं हुई तो हम अन्य जगहों पर भी ट्रेनें रोकेंगे. इसके साथ ही वह विपक्षी दलों से कुछ सवाल-जवाब भी करेंगे।
23 अप्रैल को चंडीगढ़ में खुली बहस
कोहाड़ ने कहा कि जब हम पर हमला हुआ तो विपक्ष ने भी हमारा मुद्दा नहीं उठाया। इसलिए उनसे भी सवाल पूछे जाएंगे। उधर, पंजाब और हरियाणा के कई हिस्सों में किसान लगातार बीजेपी नेताओं का विरोध कर रहे हैं। इस संबंध में किसानों ने बीजेपी नेताओं को 23 अप्रैल को चंडीगढ़ आकर खुली बहस करने की खुली चुनौती दी है, जो मीडिया की मौजूदगी में होगी।