उत्तराखंड में भारी बारिश के कारण आज चार धाम यात्रा रोक दी गई है। बद्रीनाथ-विष्णु प्रयाग नेशनल हाईवे के पास लैंडस्लाइड के कारण सड़क ब्लॉक हो गया है। दोनों तरफ वाहनों की लंबी कतारें लगी हैं। कमिशनर गढ़वाल विनय शंकर पाण्डेय ने कहा है कि कई जिलों में भारी बारिश की स्थिति को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। मौसम विभाग ने उत्तराखंड में भारी बारिश का अलर्ट जारी कर दिया है।
प्रशासन ने कहा है कि चारधाम यात्रा पर जाने वाले लोगों से अपील की है कि वे 7-8 जुलाई को सुरक्षित स्थान पर रहें और बाहर नहीं जाएं। जो जहां है वहीं ठहर जाए। जो ऋषिकेश से आगे चारधाम की यात्रा पर निकल चुके हैं वे भी सतर्क रहें।
जानें चार धाम का महत्व
हिन्दू धर्म के चार धाम - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ की यात्रा है। यह यात्रा हिमालय कि ऊंचाई पर स्थित है। हिंदी में ‘चर’ का अर्थ है चार और ‘धाम’ का अर्थ धार्मिक स्थलों से है। स्कंद पुराण के तीर्थ प्रकरण के अनुसार चार धाम यात्रा को महत्वपूर्ण माना गया है। चार धामों के दर्शन करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते है और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है।
यमुनोत्री
यमुनोत्री का पवित्र मंदिर, यमुना नदी का स्रोत, गांडवाल हिमालय में सबसे पश्चिमी मंदिर है, जो बंदरपूंछ पर्वत के एक किनारे पर स्थित है। यमुनोत्री का मुख्य आकर्षण देवी यमुना के लिए समर्पित मंदिर और जानकीचट्टी (7 किमी दूर) में पवित्र तापीय झरना हैं।
गंगोत्री
ऐसा माना जाता है कि स्वर्ग लोक से देवी गंगा धरती का उद्धार करने के लिए यही पर उतरी थी। शिवजी ने गंगा को अपनी जटा से संचालित किया और उन्होंने नदी के रूप मे गंगोत्री से बहना शुरू किया।
केदारनाथ
ऐसा माना जाता है कि केदारनाथ मंदिर पांडवों द्वारा निर्माणित हुआ था। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग में से एक है। केदारनाथ मंदिर का शिवलिंग त्रिभुजाकार है इसलिए मंदिर में अद्वितीय है।केदारनाथ मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी के साथ पार्वती माता, भगवान कृष्ण, पांच पांडवों और उनकी पत्नी द्रोपदी और अन्य देवी- देवताओं की मूर्तिया हैं।
बदरीनाथ
बदरीनाथ मंदिर में भगवान विष्णु के साथ भगवान के नर नारायण रूप की भी पूजा होती है, क्योंकी था भगवान ने नर नारायण के रूप में तपस्या की थी। इसलिए मंदिर के गर्भगृह में श्रीहरि विष्णु के साथ नर नारायण की ध्यानावस्था में मूर्ति स्थित है।