ख़बरिस्तान नेटवर्क, शिमला : हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में मानसून की दस्तक के लगभग तीन महीने बाद भारी बारिश ने फिर से रफ्तार पकड़ ली है, जिससे राज्य के पांच जिलों में चौबीस सड़कें ब्लॉक हो गई हैं।
बाढ़ से मची भारी तबाही
राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के आंकड़ों के मुताबिक, लाहौल-स्पीति जिले में 16, शिमला में 4, कुल्लू में 2 और कांगड़ा और किन्नौर जिलों में 1-1 सड़कें ब्लॉक हुई हैं। राज्य के राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के आंकड़ों के मुताबिक राज्य में मानसून के प्रकोप की शुरुआत के बाद से 468 लोग मारे गए हैं, 487 घायल हुए हैं और 40 लापता हैं। इसमें कहा गया है, 2,647 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, 1,129 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं, 320 दुकानें क्षतिग्रस्त हो गईं और 5,977 गौशालाएं क्षतिग्रस्त हो गईं। इसके अलावा डेटा ने पिछले तीन महीनों के दौरान 168 भूस्खलन और 72 बाढ़ की घटनाओं की रिपोर्ट का सुझाव दिया।
सेशन में कुल सात बैठकें होंगी
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सोमवार को राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें केंद्र सरकार से आपदा प्रभावित हिमाचल प्रदेश को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग की गई, जबकि विपक्ष ने राज्य में आपदा की स्थिति पर चर्चा के लिए नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव लाया है। सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी दोनों ने विधायक दल की बैठकें कीं। 25 सितम्बर तक चलने वाले सेशन में कुल सात बैठकें होंगी।
विधानसभा 700 से अधिक पूछे गए प्रश्न
विधानसभा के सोमवार को यहां शिमला में शुरू हुए मानसून सेशन में विधानसभा सचिवालय को कुल 743 प्रश्न प्राप्त हुए। जिसमें से 70 फीसदी प्रश्न आपदा से संबंधित थे। नियम 62 के तहत एक नोटिस, नियम 101 के तहत 2 नोटिस, नियम 130 के तहत 9 नोटिस, नियम 102 के तहत एक नोटिस और नियम 324 के तहत 1 नोटिस प्राप्त हुए हैं।
प्रदेश को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने विपक्ष से आपदा और केंद्र सरकार से मिलने वाले फंड से जुड़े मुद्दे विधानसभा के दौरान लाने की अपील की। सुक्खू ने केंद्र सरकार से आपदाग्रस्त हिमाचल प्रदेश को राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग का प्रस्ताव पारित करने के लिए कांग्रेस कार्यसमिति का भी आभार व्यक्त किया।