हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की मिलीभगत पर फिर से कनाडाई प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने 40 डिपलोमैट्स को बाहर निकालने पर वियना कन्वेंशन के उल्लंघना का आरोप लगाया है। जस्टिन ट्रूडो का कहना है कि कनाडा हमेशा कानून के शासन के समर्थन में रहेगा। कनाडा के पीएम ने भारत से जारी विवाद और हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड की जांच के संबंध में ये बात कही।
दरअसल ट्रूडो से अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के उस बयान को लेकर सवाल किया गया, जिसमें ब्लिंकन ने कहा कि अमेरिका चाहता है कि कनाडा निज्जर हत्याकांड की जांच पर आगे बढ़े और भारत इसमें कनाडा का सहयोग करे।
पिछले महीने कनाडा ने भारत से 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया था और उनकी छूट छीनने के केंद्र सरकार के फैसले के मद्देनजर चंडीगढ़, मुंबई और बेंगलुरु काउंसलेट में अपनी वीजा और काउंसलर सेवाएं भी रोक दी थीं।
भारत पर लगाया वियना कन्वेंशन की उल्लंघना का आरोप
ऐसा तब हुआ जब नई दिल्ली ने भारत में डिपलोमैटस की चिंताओं से अवगत कराया और राजनयिक ताकत में समानता की मांग की। भारत पर राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए, कनाडाई विदेश मंत्री मेलानी जोली ने कहा कि दोनों देशों के बीच चल रही राजनयिक खींचतान के बीच ओटावा ने 41 डिपलोमैटस और उनके 42 डिपेंडेंटस को भारत से हटा दिया।
वियना कन्वेंशन क्या है
साल 1961 में राजनयिक संबंधों को लेकर, वियना में एक समझौता हुआ था। इसके तहत कुछ नियम बनाए गए, जिनका उद्देश्य था कि देशों के बीच दोस्ताना संबंध बने रहें, कम्युनिकेशन के चैनल काम करते रहें। देशों के डिप्लोमेट्स के साथ कैसा व्यवहार किया जाएगा, इसके लिए भी कुछ नियम, सिद्धांत और शर्तें तय की गईं।
इन सिद्धांतों में सबसे ख़ास है- डिप्लोमैटिक इम्युनिटी यानी राजनयिक छूट का सिद्धांत। इसके तहत, एक डिप्लोमैट को उस देश के कानूनों और नियमों से छूट मिलती है, जहां उसकी तैनाती है। ये सिद्धांत इसलिए बनया गया ताकि डिप्लोमैट, उस देश में किसी तरह की धमकी या असुरक्षा से डरे बिना काम कर सकें।
वियना कन्वेंशन के अलावा, साल 1963 के कॉन्सुलर रिलेशंस कन्वेंशन में भी डिप्लोमैटिक के नियम-कायदे तय किए गए हैं।