खबरिस्तान नेटवर्क: फरीदकोट में अध्यापकों के विरोध के बाद डीसी ने अपने आदेश बदल दिए हैं। अब बच्चे आस-पास की दुकानों की जांच नहीं करेंगे, बल्कि इसके लिए स्कूलों में समूह बनाए जाएंगे। इन समूहों में 9वीं और 12वीं कक्षा के छात्र शामिल होंगे। 10-10 विद्यार्थियों के समूह बनाए जाएंगे तथा एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। नोडल अधिकारी इन समूहों में पढ़ने वाले छात्रों पर नजर रखेंगे। यदि किसी छात्र के व्यवहार में परिवर्तन होता है या वह अन्य छात्रों से अलग-थलग रहता है, तो वह नोडल अधिकारी, स्कूल प्रधानाचार्य को सूचित करेगा।
पहले दिए थे यह आदेश
इससे पहले डीसी ने कहा था कि सभी स्कूलों को अपने आस-पास की दुकानों में नशीली दवाईयों की बिक्री की जांच करने के लिए छात्रों की टीमें बनानी पड़ेगी लेकिन इस नई पहल के कारण शिक्षकों में चिंता और असहजता पैदा हो गई थी। ज्यादातर शिक्षकों का यही मानना था कि नाबालिग छात्रों के लिए ऐसे जोखिम भरे काम करना सही नहीं है। उनका मानना है कि यह काम सुरक्षा एंजेसियों का है। यदि इनमें स्कूली बच्चों को शामिल किया जाए तो उनकी सुरक्षा को खतरा होगा। ऐसे में शिक्षकों की चिंता देखते हुए डीसी ने आदेश में बदलाव कर दिए हैं।

आदेश का नहीं किया पालन तो होगी कड़ी कार्रवाई
डीईओ ने 4 अप्रैल को पहला पत्र जारी किया। इसमें उन्होंने स्कूलों से 10 छात्रों और एक नोडल अधिकारियों का नाम मांगा था। इसके लिए उन्हें जब स्कूलों से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई तो उन्होंने फिर 09 अप्रैल को भी एक और पत्र भेजा। दूसरे पत्र में उन्होंने कहा कि यदि आदेशों का पालन नहीं हुआ तो उन पर कड़ी कार्रवाई होगी। उन्होंने कहा कि इसका मुख्य उद्देश्य यही है कि छात्रों को नशे से दूर रखा जाए और नशे के शिकार हुए लोगों को सरकारी नशामुक्ति केंद्रों के लिए प्रेरित किया जा सके।