क्या आप भी बीपी के पेशेंट हैं और गर्मी में भी बीपी कंट्रोल करने के लिए दवाइयों का सेवन कर रहे हैं तो अभी से सावधान हो जाएं। दरअसल गर्मी में डॉक्टर से बिना सलाह लिए बीपी के डोज लेते हैं तो आप गंभीर रूप से प्रभावित हो सकते हैं। दरअसल हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है। गोरखपुर की 67 वर्षीय शकुंतला हाई बीपी की समस्या से परेशान है। जो ठंड के दिनों में डॉक्टर से चेकअप करवा के हाई बीपी कंट्रोल करने की दवाई लेना शुरू की। जिसे शकुंतला पांच महीने से वही दवा खा रही थीं।
हालांकि पिछले सप्ताह उनको अचानक चक्कर आने लगा और शरीर में सुस्ती बढ़ी तो वह तुरंत डॉक्टर के पास गई। जांच करते समय पता चला कि बीपी कम हो गई है। जिस वजह से तुरंत उनकी हाई बीपी की डोज (खुराक) कम की गई। साथ ही डॉक्टर ने बताया कि ठंड में बीपी की दवा का डोज ज्यादा रखा जाता है जबकि गर्मी में 20 प्रतिशत रोगियों का डोज कम हो जाता है। ऐसे में गर्मी की शुरुआत में एक बार जरूर चेकअप करा लेना चाहिए।
हालांकि इन दिनों अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कालेज, जिला अस्पताल और निजी अस्पतालों के हृदय रोग विशेषज्ञों की ओपीडी में चक्कर, कमजोरी, बेहोशी जैसे लक्षणों वाले लोग ज्यादा संख्या में पहुंच रहे हैं।
बता दें कि इनमें 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोग अधिक शामिल हैं। वहीं जांच के दौरान इन लक्षणों के लोगों में बीपी कम होने की समस्या निकली है। इसके बाद दवाओं का डोज चेक किया गया तो पता चला कि ठंड में बीपी को नियंत्रित करने के लिए बढ़ाई गई डोज ही गर्मी में भी रोगी ले रहे थे।
ठंड में क्यों दी जाती है बीपी कंट्रोल की दवा
बता दें कि ठंड में टैंपरेचर कम होने की वजह से नसें सिकुड़ने लगती हैं। जिस कारण बॉडी में बीपी की समस्या होने लगती है जिससे हार्ट पर काफी दबाव पड़ता है। जो हार्ट अटैक के कारण बनते हैं।
ऐसे में डॉक्टर ठंड में बीपी कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर दवाओं की डोज बढ़ा देते हैं। वहीं गर्मी में पसीना निकलने के कारण बीपी में गिरावट आती है। जिस वजह से डॉक्टर अक्सर बीपी के पेशेंट को गर्मी में बीपी के डोज को कम करने की सलाह देते हैं।
गर्मी में लेते हैं बीपी की दवा तो दिख सकता है ये लक्षण
अगर आप बीपी पेशेंट है और आप गर्मी में भी बीपी की दवाई ले रहे हैं और आपको यह लक्षण दिख रहे तो बिल्कुल भी नजरअंदाज न करें। जैसे-
चक्कर आना
सुस्ती और आलस आना
खड़े होने में दिक्कत होना
बस सोए रहने का मन करना
अगर आपमें इस तरह का कोई भी लक्षण नजर आयें तो एक बार बीपी चेक कराकर दवाओं की डोज फिर से निर्धारित करा लें।