सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने अपनी मांगों और काम के दौरान आने वाली समस्याओं के समाधान के लिए 9 जनवरी को चंडीगढ़ सेक्टर 34 ए, परिवार कल्याण केंद्र कार्यालय में धरना प्रदर्शन किया। इस हड़ताल से ठीक 2-3 दिन पहले विभाग ने 8/1/24 को राज्य के सीएचओ नेताओं को एक बैठक करने का मौका भी दिया था। जिसका कोई पॉजिटिव रिजल्ट नहीं सामने आया।
दो हजार से अधिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने भाग लिया
परिवार कल्याण केंद्र कार्यालय में एनएचएम के तहत सूबा पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में स्थापित हेल्थ वैलनेस सेंटर में कार्यरत लगभग दो हजार से अधिक सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों ने अपनी मांगों और काम के दौरान समस्याओं के समाधान के लिए धरना दिया।
प्रदेश के परिवार कल्याण केंद्र के निदेशक डॉक्टर हतिंदर केलर के साथ प्रदेश के नेताओं की बैठक 2-3 दिन पहले हुई थी जिसमे डॉक्टर केलर ने उन्हें आईएएस अधिकारी अभिनव त्रिखा से चर्चा कर समस्या का समाधान करने का आश्वासन दिया था।
वहीँ प्रदेश के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना था कि वे लंबे समय से राज्य के ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करा रहे हैं। इतना ही नहीं कोरोना संकट, बाढ़ की स्थिति और कई अन्य आपदाओं में भी उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई है।
ऐसे में प्रदर्शन में ये भी कहा गया कि समय रहते कोई उचित समाधान नहीं निकाला गया तो प्रदेश के सीएचओ द्वारा सभी प्रकार के ऑनलाइन कार्य बंद रखे जाएंगे और संघर्ष तेज कर दिया जायेगा।
बंधुआ मजदूर की तरह काम ले रहा विभाग
प्रदेश के सभी सामुदायिक स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि फील्ड में काम करने के दौरान उन्हें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। जिसके बारे में कई बार विभाग को अवगत कराया जा चुका है।
लेकिन विभाग के कानों तक बात नहीं पहुंच रही है। विभाग कर्मचारियों को बंधुआ मजदूर बनाकर उनसे काम लेने की भी कोशिश कर रहा है। उनका ये भी कहना है कि यदि मांगें नहीं मानी गईं या कठिनाइयों का उचित समाधान नहीं किया गया तो सीएचओ संघर्ष तेज करने के लिए मजबूर होंगे, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी स्वास्थ्य विभाग की ही होगी।